यमन के मुकल्ला पोर्ट पर सऊदी अरब के हालिया हवाई हमले ने मिडिल ईस्ट की शतरंज पर एक नई चाल चल दी है। इस हमले के केंद्र में है एक ऐसा संगठन, जिसने पिछले कुछ वर्षों में यमन की राजनीति और भूगोल को बदलने की ताकत हासिल कर ली है—सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC)। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच बढ़ती दरार की मुख्य वजह भी यही संगठन है।
STC: दक्षिण यमन की आजादी का स्वघोषित ध्वजवाहक
स्थापना और नेतृत्व: STC की स्थापना 2017 में हुई थी, जिसका नेतृत्व पूर्व गवर्नर एदरस अल-जोबैदी कर रहे हैं। इसका मुख्यालय यमन के महत्वपूर्ण तटीय शहर अदन में है।
मकसद: इस संगठन का एकमात्र और स्पष्ट उद्देश्य है—दक्षिण यमन को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना। गौरतलब है कि 1990 से पहले यमन दो अलग देशों (उत्तर और दक्षिण) में बंटा हुआ था। STC उसी पुराने दौर को वापस लाना चाहता है और दक्षिण यमन के पुराने झंडे के तले अपने समर्थकों को एकजुट करता है।
सैन्य ताकत और हूतियों से मुकाबला
यमन का एक बड़ा हिस्सा ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के कब्जे में है। ऐसे में STC खुद को हूतियों के खिलाफ सबसे मजबूत दीवार के रूप में पेश करता है।
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संसाधनों पर कब्जा: STC ने दक्षिण और पूर्वी यमन, विशेषकर हदरमौत जैसे प्रांतों में अपनी पकड़ मजबूत की है। यह क्षेत्र इसलिए अहम है क्योंकि यहाँ यमन के तेल और गैस के सबसे बड़े भंडार मौजूद हैं।
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आधुनिक सेना: STC के पास केवल पारंपरिक लड़ाके नहीं, बल्कि आधुनिक हथियार, बख्तरबंद गाड़ियां और उन्नत ड्रोन तकनीक भी है, जो इसे यमन की अन्य स्थानीय ताकतों से कहीं अधिक घातक बनाती है।
यूएई का 'प्रॉक्सी' और सऊदी की चिंता
सऊदी अरब और यूएई के बीच तनाव का मुख्य कारण STC को मिलने वाला समर्थन है।
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यूएई का रणनीतिक स्वार्थ: माना जाता है कि यूएई, STC के जरिए लाल सागर (Red Sea) और अदन की खाड़ी के महत्वपूर्ण समुद्री रास्तों और बंदरगाहों पर नियंत्रण चाहता है। चूँकि यूएई की भौगोलिक सीमा लाल सागर से नहीं लगती, इसलिए वह STC जैसे संगठनों के माध्यम से इस रणनीतिक व्यापारिक मार्ग पर अपना प्रभाव सुनिश्चित करना चाहता है।
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सऊदी अरब की 'अखंड यमन' नीति: सऊदी अरब का मानना है कि यमन का विभाजन क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा करेगा। मुकल्ला जैसे पोर्ट सिटी पर STC का बढ़ता प्रभाव सऊदी की अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए सीधी चुनौती है। सऊदी अरब नहीं चाहता कि उसके पड़ोस में एक ऐसा देश बने जो पूरी तरह से यूएई के प्रभाव में हो।
यमन का वैश्विक महत्व: तेल और व्यापार का चोकपॉइंट
यमन की अहमियत उसकी भौगोलिक स्थिति से है। यह बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य के मुहाने पर स्थित है, जहाँ से दुनिया का लगभग 12% तेल व्यापार गुजरता है।
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रेड सी (Red Sea): यह मार्ग स्वेज नहर के जरिए यूरोप और एशिया को जोड़ता है।
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पावर गेम: लाल सागर पर नियंत्रण का मतलब है वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की चाबी अपने हाथ में रखना। यही कारण है कि STC की हर गतिविधि पर न केवल सऊदी और यूएई, बल्कि अमेरिका और ईरान की भी नजर रहती है।