पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और इस तनातनी को तालिबान के उप-प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने एक तीखी चेतावनी देकर और भड़का दिया है। मुल्ला बरादर ने पाकिस्तान को सीधे तौर पर "कायर दुश्मन" संबोधित करते हुए अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और निर्दोष नागरिकों पर हमला न करने की चेतावनी दी है।
'एडवांस तकनीकी हथियार' विकसित करने का निर्देश
अपने सख्त बयान में, तालिबान के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर ने खुलासा किया कि उन्होंने रक्षा मंत्रालय को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है: "वो ऐसी एडवांस तकनीकी हथियारों का विकास करें, जो हमारे पड़ोसियों और दुनिया की नींद हराम कर दें।" यह बयान दर्शाता है कि तालिबान अपनी रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बनाने और किसी भी बाहरी हमले का कड़ा जवाब देने के लिए तैयार है।
पाकिस्तान को संबोधित करते हुए, मुल्ला बरादर ने कहा कि वो "कायर दुश्मन" से स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि:
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वे अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर न करें।
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सभी सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए बेगुनाह महिलाओं, बच्चों और अफगानों को न मारें।
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अफगान लोगों के सब्र का इम्तिहान न लें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी हमलावर को यह नहीं भूलना चाहिए कि "तालिबान के पास भी याददाश्त होती है और वो अपने जरूरी हिसाब-किताब खुद करते हैं।" बरादर ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन अगर कोई हमला करता है, तो उसका जवाब अत्यंत कड़ा और कठोर होगा।
तनाव का मुख्य कारण
दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव पिछले कुछ महीनों से चरम पर है। तनाव तब और बढ़ गया जब पाकिस्तान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों को निशाना बनाते हुए अफगानिस्तान के अंदर हमला किया। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी लड़ाके अफगान सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान में हमले करने के लिए कर रहे हैं, जबकि तालिबान पाकिस्तान के इन हमलों को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। इस घटना के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर जवाबी हमले किए, जिससे सीमा पर स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
कौन हैं मुल्ला अब्दुल गनी बरादर?
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर एक अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और तालिबान आंदोलन के सह-संस्थापकों में से एक हैं। उन्हें मुल्ला बरादर के नाम से जाना जाता है, और उन्होंने 1994 में मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की नींव रखी थी। उन्हें मुल्ला उमर का अत्यंत भरोसेमंद कमांडर माना जाता था।
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सैन्य रणनीतिकार: बरादर ने एक कुशल सैन्य रणनीतिकार और कमांडर के रूप में अपनी पहचान बनाई।
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प्रमुख भूमिका: उन्होंने अफगानिस्तान में लगभग सभी बड़े युद्धों में अहम जिम्मेदारियाँ निभाईं और पश्चिमी क्षेत्र और काबुल में तालिबान की संरचना के शीर्ष कमांडरों में रहे।
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पिछला जीवन: उनका जन्म 1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में हुआ था। उन्होंने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन के साथ लड़ाई लड़ी थी।
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गिरफ्तारी और रिहाई: बरादर को 2010 में पाकिस्तान के कराची शहर में सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2018 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, उन्हें डिप्टी प्राइम मिनिस्टर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई।
मुल्ला बरादर का यह कड़ा रुख दर्शाता है कि तालिबान, पाकिस्तान की सीमा पार की कार्रवाइयों को लेकर गंभीर है और भविष्य में किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार है, जिससे दोनों देशों के बीच मौजूदा गतिरोध के और गहराने की आशंका है।