पड़ोसी देश तिब्बत में कांपी धरती, 4.1 तीव्रता का रहा भूकंप

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Posted On:Saturday, November 15, 2025

पड़ोसी क्षेत्र तिब्बत में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। राष्ट्रीय भूगर्भ विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.1 मापी गई। यह मध्यम दर्जे का भूकंप था, जिसने क्षेत्र में रहने वाले लोगों को एक बार फिर दहशत में डाल दिया।

भूकंप की गहराई और तीव्रता

राष्ट्रीय भूगर्भ विज्ञान केंद्र (NCS) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस बार भूकंप की गहराई जमीन के भीतर लगभग 60 किलोमीटर थी। भूकंप का केंद्र सतह से जितना अधिक गहराई में होता है, सतह पर उसका प्रभाव उतना ही कम महसूस किया जाता है, हालांकि भूकंप की तीव्रता अधिक होने पर गहरी उत्पत्ति भी बड़े झटके दे सकती है। $4.1$ की तीव्रता वाले इस भूकंप को सामान्यतः हल्का से मध्यम श्रेणी का माना जाता है, जो अक्सर किसी बड़े नुकसान का कारण नहीं बनता, लेकिन इमारतों और घरों में कंपन पैदा करता है।

चार दिन पहले भी महसूस हुए थे झटके

यह ध्यान देने योग्य है कि तिब्बत में यह पहली घटना नहीं है। ठीक चार दिन पहले, 11 नवंबर को भी तिब्बत में भूकंप के झटके आए थे। उस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.8 मापी गई थी। बार-बार आने वाले ये झटके यह दर्शाते हैं कि तिब्बती पठार और आसपास के क्षेत्र भूगर्भीय रूप से काफी सक्रिय हैं। यह क्षेत्र भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मिलन बिंदु पर स्थित है।

Image of Indian and Eurasian Plate Tectonics

इन दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों के लगातार टकराने और एक-दूसरे के नीचे खिसकने (Subduction) की प्रक्रिया के कारण इस पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप आते रहते हैं। तिब्बती पठार, जो दुनिया का सबसे ऊंचा और बड़ा पठार है, इन्हीं प्लेटों की टक्कर से बना है, जिसके कारण यहां भूगर्भीय तनाव हमेशा बना रहता है।

भूकंप क्यों आते हैं?

भूकंप आने का मुख्य कारण पृथ्वी के अंदर टेक्टोनिक प्लेटों की गति है। पृथ्वी की ऊपरी परत (क्रस्ट) कई बड़ी प्लेटों में बंटी हुई है। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, रगड़ती हैं, या दूर जाती हैं, तो प्लेटों के किनारों पर ऊर्जा जमा होती जाती है। जब यह ऊर्जा एक सीमा से अधिक हो जाती है, तो अचानक मुक्त होती है, जिससे धरती हिलने लगती है—इसी को भूकंप कहते हैं। तिब्बत का क्षेत्र हिमालयी बेल्ट में आता है, जिसे दुनिया के सबसे अधिक भूकंप-संभावित क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इसलिए, यहां 3.8 से 4.1 की तीव्रता वाले छोटे और मध्यम दर्जे के भूकंप आना एक सामान्य भूगर्भीय घटना है, लेकिन यह क्षेत्र को हमेशा बड़े भूकंपों के खतरे की याद दिलाती है।

सतर्कता आवश्यक

हालांकि ये झटके कम तीव्रता के थे और जान-माल के बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं है, लेकिन ये लगातार हो रही घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि तिब्बत और आसपास के क्षेत्रों में लोगों को भूकंप के प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए। स्थानीय प्रशासन और राष्ट्रीय भूगर्भ विज्ञान केंद्र लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं ताकि किसी भी बड़े भूगर्भीय बदलाव का पता लगाया जा सके।


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