आज के डिजिटल युग में सूचना का आदान-प्रदान पहले से कहीं तेज़ हो गया है। लेकिन इस तेजी के साथ एक और खतरा भी जुड़ा हुआ है—फेक न्यूज यानी झूठी, भ्रामक या मनगढ़ंत जानकारी का प्रसार। इंटरनेट, सोशल मीडिया और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के चलते फर्जी खबरें इतनी पेशेवर अंदाज में तैयार की जा रही हैं कि आम आदमी के लिए सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो गया है।
हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की फर्जी तस्वीर और झूठे दावे वायरल किए गए। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार हुई इस महिला के नाम पर AI जनरेटेड फोटो वायरल की जा रही है, जिसमें उसे बीजेपी का स्कार्फ पहने और सिर पर टोपी लगाए हुए दिखाया गया है। लेकिन जब पड़ताल की गई, तो इस तस्वीर की सच्चाई कुछ और ही निकली।
क्या हो रहा है वायरल?
18 मई 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साक्षी गुप्ता नामक एक यूजर ने एक ग्राफिक शेयर किया। इस ग्राफिक में लिखा था:
"आतंकियों की बहन तो ज्योति मल्होत्रा निकली। सोफिया कुरैशी तो भारतीयों की बहन है जनाब।"
यह ग्राफिक तेजी से वायरल हुआ और देखते ही देखते कई अन्य यूजर्स ने भी इसे शेयर करना शुरू कर दिया। साथ में दावा किया गया कि ज्योति का संबंध बीजेपी से है, जिसे बीजेपी के स्कार्फ और टोपी के साथ उसकी फोटो से जोड़कर पेश किया गया।
फैक्ट चेक में क्या सामने आया?
हमने इस वायरल तस्वीर और दावे की पड़ताल की। बीजेपी और ज्योति मल्होत्रा से जुड़े कीवर्ड्स पर गूगल सर्च किया गया, लेकिन कोई भी विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली जो इस दावे की पुष्टि करती हो।
इसके बाद वायरल तस्वीर को लेकर हमने कई AI इमेज डिटेक्शन टूल्स की मदद ली, जिनमें प्रमुख थे:
Hive Moderation:
इस टूल की मदद से जांच में सामने आया कि वायरल तस्वीर को AI टूल्स की सहायता से बनाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह तस्वीर 99.9% AI जनरेटेड है। यानी यह एक नकली छवि है, जिसे कंप्यूटर एल्गोरिदम के जरिये तैयार किया गया है।
Wasitai:
दूसरे AI डिटेक्शन टूल Wasitai से भी यही नतीजा सामने आया कि वायरल फोटो प्राकृतिक या असली नहीं, बल्कि पूरी तरह से AI निर्मित है।
वायरल दावे का सच
इन तथ्यों के आधार पर यह पूरी तरह स्पष्ट है कि ज्योति मल्होत्रा की बीजेपी स्कार्फ और टोपी वाली तस्वीर असली नहीं है। इसे कुछ यूजर्स ने भ्रामक दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, ताकि राजनीतिक और सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।
सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का खेल
आज के समय में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—जैसे X, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप—पर AI तकनीक का उपयोग करके फर्जी ग्राफिक्स, वीडियो और तस्वीरें मिनटों में तैयार की जा सकती हैं। इनका मकसद होता है:
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किसी व्यक्ति या संस्था की छवि खराब करना
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सांप्रदायिक या राजनीतिक तनाव भड़काना
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लोगों को गुमराह करना और झूठी धारणा बनाना
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ट्रेंड और व्यूज़ के नाम पर सनसनी फैलाना
AI का गलत इस्तेमाल: कितना बड़ा खतरा?
AI तकनीक जहां चिकित्सा, शिक्षा और रिसर्च जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला रही है, वहीं इसका दुरुपयोग भी तेजी से बढ़ रहा है। अब Deepfake तकनीक के जरिए किसी भी व्यक्ति की नकली वीडियो या फोटो बनाना बेहद आसान हो गया है, जिससे फर्जी खबरों को "सच्चाई का नकाब" पहनाया जा रहा है।
आम जनता को क्या करना चाहिए?
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किसी भी खबर को शेयर करने से पहले जांचें कि वह किस स्रोत से आ रही है।
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यदि फोटो या वीडियो पर संदेह हो तो Google Reverse Image Search या AI इमेज डिटेक्शन टूल्स की मदद लें।
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भ्रामक पोस्ट्स को रिपोर्ट करें और दूसरों को भी सतर्क करें।
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विवादित या राजनीतिक मसलों पर वायरल कंटेंट को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतें।
निष्कर्ष
ज्योति मल्होत्रा की वायरल तस्वीर एक AI द्वारा निर्मित फर्जी छवि है। इसे कुछ सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा जानबूझकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया गया। यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि इंटरनेट पर हर चमकती चीज़ सच नहीं होती। हमें हर जानकारी को आंख मूंदकर मानने से पहले सोच-समझ कर कदम उठाने की जरूरत है।