मुंबई, 21 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और इसके बाद हुई जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को अनुचित ठहराया। उन्होंने कहा कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, बल्कि यह स्थान चीन का है। जयशंकर ने यह भी जोड़ा कि रूस से नेचुरल गैस (LNG) खरीदने में यूरोपीय यूनियन सबसे आगे है और 2022 के बाद कुछ दक्षिणी देशों ने भी रूस के साथ व्यापार भारत से ज्यादा बढ़ाया है। इसके बावजूद भारत पर टैरिफ लगाना समझ से परे है। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो 27 अगस्त से लागू होगा। ट्रम्प का कहना है कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से रूस को यूक्रेन युद्ध में मदद मिल रही है। जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के आधार पर रूस से तेल खरीदता है और यह पूरी तरह उचित है। उन्होंने याद दिलाया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत और रूस का रिश्ता बेहद स्थिर और भरोसेमंद रहा है। दोनों देशों ने आपसी व्यापार को संतुलित करने पर सहमति जताई है और इस दिशा में रूस भारत से कृषि उत्पाद, दवाइयां और वस्त्रों का आयात बढ़ाएगा। इसके अलावा दोनों देश व्यापार में नॉन-टैरिफ बाधाओं और रेगुलेशन संबंधी समस्याओं को हल करने की दिशा में भी काम करेंगे, जिससे भारत का निर्यात बढ़ेगा और व्यापार घाटा कम होगा।
इससे पहले रूस के डिप्लोमेट रोमन बाबुश्किन ने कहा था कि भारत को रूसी कच्चे तेल पर करीब 5% छूट मिल रही है और इसे बदलने का कोई विकल्प नहीं है। उनके मुताबिक रूस से सस्ती सप्लाई के चलते भारत को भारी मुनाफा हो रहा है, और अमेरिका का दबाव गलत है। आंकड़ों के मुताबिक भारत अब चीन के बाद रूस से तेल खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। जहां यूक्रेन युद्ध से पहले भारत का रूस से तेल आयात केवल 0.2% था, वहीं मई 2023 तक यह 45% तक पहुंच गया। 2025 में जनवरी से जुलाई के बीच भारत ने औसतन 17.8 लाख बैरल तेल प्रतिदिन रूस से खरीदा है। पिछले दो वर्षों से भारत हर साल 130 अरब डॉलर से अधिक का रूसी तेल खरीद रहा है। बाबुश्किन ने भरोसा जताया कि भारत बाहरी दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि यदि भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में जगह नहीं पाते, तो वे रूस के बाजार में जा सकते हैं। जयशंकर ने मॉस्को में हुई बैठक में रूसी सेना में काम कर रहे भारतीयों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि कई भारतीयों को पहले ही रिहा किया जा चुका है, हालांकि कुछ मामलों पर अब भी काम जारी है। इसके अलावा उन्होंने यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत करते हुए शांति और कूटनीति की आवश्यकता पर जोर दिया।