पाकिस्तान के सियासी गलियारों में इस वक्त एक ही सवाल सबसे ज़्यादा चर्चा में है: क्या पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, सेना प्रमुख (तब के) आसिम मुनीर के साथ मिलकर कोई बड़ा राजनीतिक 'खेल' खेलने की तैयारी में हैं? इस्लामाबाद से लेकर रावलपिंडी तक के गलियारों में यह अटकलें तेज़ हैं, और इसकी मुख्य वजह है आसिम मुनीर को रक्षा प्रमुख (Chairman of the Joint Chiefs of Staff Committee - CJCSC) के पद पर नियुक्त करने का आधिकारिक ऐलान न होना।
जियो न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, आसिम मुनीर का सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल 29 नवंबर को ही समाप्त हो गया था। यह व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही थी कि उसी दिन या अगले दिन उन्हें रक्षा प्रमुख के पद पर नियुक्त करने की घोषणा कर दी जाएगी। हालांकि, पांच दिन बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों खेमों में इसे लेकर कोई आधिकारिक हलचल या सुगबुगाहट देखने को नहीं मिल रही है। इस रहस्यमय देरी ने अटकलों के बाज़ार को गर्म कर दिया है।
नवाज शरीफ की भूमिका पर इतनी चर्चा क्यों?
आसिम मुनीर का 29 नवंबर को सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद, उनकी अगली नियुक्ति रक्षा प्रमुख के पद पर होनी थी। यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था; पाकिस्तान की सरकार ने नवंबर 2025 की शुरुआत में ही संसद से इसके लिए एक प्रस्ताव भी पास करा लिया था, जिससे यह सुनिश्चित हो गया था कि रक्षा प्रमुख का पद अब सैन्य पदानुक्रम में सबसे शक्तिशाली होगा।
लेकिन जब इस प्रस्ताव को अधिसूचना (नोटिफिकेशन) के रूप में जारी करने की बारी आई, तो प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ अचानक 'गायब' हो गए। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, शहबाज़ शरीफ अपनी पार्टी के मुखिया और बड़े भाई नवाज़ शरीफ से 'सलाह' लेने के लिए लंदन गए थे, और उसके बाद से वे पाकिस्तान नहीं लौटे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लंदन में बैठकर नवाज़ शरीफ कोई नई 'स्क्रिप्ट' लिख रहे हैं। इधर, रावलपिंडी (सेना का मुख्यालय) में बेचैनी है कि नवाज़ शरीफ आखिर कौन सा राजनीतिक दांव चलने वाले हैं। चर्चा इसलिए भी तेज़ है, क्योंकि सरकार के बड़े मंत्री इस विषय पर स्पष्ट रूप से कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 30 नवंबर को केवल प्रक्रिया का हवाला देकर इस मुद्दे से पल्ला झाड़ लिया था। इसके बाद से, सरकार का कोई भी शीर्ष नेता इस संवेदनशील विषय पर टिप्पणी नहीं कर रहा है।
अगर मुनीर बने रक्षा प्रमुख, तो क्या होगा?
इस पद की महत्ता को समझना ज़रूरी है। अगर आसिम मुनीर को रक्षा प्रमुख (CJCSC) के पद पर नियुक्त कर दिया जाता है, तो वे एक तरह से 'घोषित तानाशाह' बन जाएंगे। यह पद अब पाकिस्तान में लगभग सभी सैन्य शक्तियां रखता है। रक्षा प्रमुख अब वायु सेना, नौ सेना और थल सेना के भी महत्वपूर्ण नीतिगत और परिचालन संबंधी निर्णय ले सकता है।
इस पद को और भी शक्तिशाली बनाने वाले प्रावधान ये हैं कि:
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पद पर रहने के दौरान और जीवन भर, रक्षा प्रमुख के खिलाफ कोई भी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
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वह अपने पूरे जीवन 'फील्ड मार्शल' की उपाधि अपने साथ रख सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के इतिहास में अब तक सेना के प्रमुख तख्तापलट (coup d'état) के माध्यम से इस तरह के निरंकुश अधिकार हासिल करते रहे हैं, लेकिन यह पहला मौका है जब इन व्यापक शक्तियों को एक संवैधानिक प्रक्रिया के जरिए कानूनी जामा पहनाया गया है।
नवाज़ शरीफ की लंदन यात्रा और नियुक्ति में हो रही देरी यह संकेत देती है कि इस अत्यंत शक्तिशाली पद को लेकर पर्दे के पीछे कोई बड़ी डील या राजनीतिक मोलभाव चल रहा है, जिसका सीधा असर पाकिस्तान के भविष्य पर पड़ सकता है।