कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के गंभीर मुद्दे पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों और सरकार की प्रतिक्रिया पर तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण को लेकर विरोध प्रदर्शन काफी ज़्यादा हुए हैं, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि दिल्ली सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है, या कम से कम ऐसा लगता तो नहीं है।
दीक्षित ने दिल्ली सरकार की प्लानिंग पर सवाल उठाते हुए कहा, "हमें नहीं पता कि वे किस तरह की प्लानिंग कर रहे हैं।"
लेकिन उनके बयान का सबसे विवादास्पद हिस्सा राजनीति और प्रदूषण के बीच संबंध को लेकर था। दीक्षित ने सीधे तौर पर कहा कि उन्हें नहीं लगता कि "दिल्ली के लोगों को कोई फ़र्क पड़ता है।"
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चुनावी परिणाम: उन्होंने कहा कि दिल्ली में ज़्यादातर लोग उसी चीज़ के लिए वोट करते हैं जो उनके लिए मुफ्त में आती है।
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राजनीतिक जवाबदेही: दीक्षित के अनुसार, राजनीतिक पार्टियां तभी जवाब देती हैं जब किसी मुद्दे का कोई चुनावी नतीजा होता है, और दुर्भाग्य से, "प्रदूषण का कोई चुनावी नतीजा नहीं होता है।"
यह टिप्पणी सीधे तौर पर दिल्ली के मतदाताओं की प्राथमिकताओं और राजनीतिक दलों की जवाबदेही पर सवाल उठाती है।
चीफ जस्टिस ने भी महसूस की दिल्ली के प्रदूषण की मुश्किल
दिल्ली के प्रदूषण की भयावहता केवल आम लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की सर्वोच्च न्यायिक अथॉरिटी ने भी इसे महसूस किया है। बीते दिन, भारत के चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने भी दिल्ली के प्रदूषण के कारण होने वाली मुश्किलों के बारे में बताया था।
CJI ने कहा था कि दिल्ली में एयर पॉल्यूशन की वजह से बाहर घूमना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि 55 मिनट की वॉक के बाद उन्हें काफी दिक्कत हुई थी। चीफ जस्टिस ने यह बात तब कही जब सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने खराब सेहत की वजह से एक सुनवाई से छूट मांगी। CJI ने पूछा कि क्या उनकी हालत दिल्ली के मौसम से जुड़ी है, जिसे राकेश द्विवेदी ने स्वीकार किया।
इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन में नया मोड़
दिल्ली के प्रदूषण के खिलाफ इंडिया गेट पर हुए विरोध प्रदर्शन में एक अप्रत्याशित मोड़ आ गया। दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस (DCP) देवेश कुमार महला बुधवार को इस प्रोटेस्ट के सिलसिले में कोर्ट में पेश हुए।
यह प्रदर्शन, जिसे शुरू में एयर पॉल्यूशन के खिलाफ एक विरोध के तौर पर बताया गया था, तब अचानक विवादों में घिर गया जब प्रदर्शनकारियों ने मारे गए नक्सल कमांडर माडवी हिडमा के समर्थन में पोस्टर दिखाए और उसके पक्ष में नारे लगाए। इसके अलावा, विरोध के दौरान पुलिसकर्मियों पर कथित तौर पर पेपर स्प्रे से हमला करने की घटना भी सामने आई।
यह घटना दर्शाती है कि दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दा है, लेकिन संदीप दीक्षित के बयान के अनुसार, जब तक इसका राजनीतिक और चुनावी परिणाम नहीं होगा, तब तक राजनीतिक दलों से इसके स्थायी समाधान की उम्मीद कम ही है।