छह माह तक चलने वाली पवित्र चारधाम यात्रा आज अपने अंतिम पड़ाव पर पहुँच रही है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर को बंद करने से पहले पूरा परिसर करीब 10 कुंतल फूलों की भव्य सजावट से सुसज्जित किया गया है। कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा 2025 का औपचारिक समापन भी हो जाएगा।
माता लक्ष्मी का शीतकालीन प्रवास—विशेष कढ़ाई भोग और आमंत्रण
धाम में कपाट बंद होने से पहले पारंपरिक रूप से माता लक्ष्मी को शीतकालीन प्रवास के लिए आमंत्रित करने की परंपरा निभाई गई। सोमवार को माता लक्ष्मी मंदिर में विशेष कढ़ाई भोग लगाया गया। बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी ने शास्त्रोक्त विधि-विधान से माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान होने का आमंत्रण दिया। मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद माता लक्ष्मी गर्भगृह की रक्षा करती हैं। अगले वर्ष कपाट खुलने तक पूजा-अर्चना इन्हीं की उपस्थिति में संपन्न मानी जाती है।
पंच पूजाओं का समापन और वेद वाचन स्थगित
बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से पहले 21 नवंबर से पंच पूजाओं की श्रृंखला प्रारंभ हुई थी।
इसके तहत:
के कपाट विधि-विधान के अनुसार पहले ही बंद किए जा चुके हैं। इन स्थलों के बंद होने के बाद मंदिर परिसर में वेद ऋचाओं के वाचन को भी परंपरा अनुसार रोक दिया जाता है। वेद पाठ कपाट खुलने के साथ ही पुनः प्रारंभ होता है।
श्रद्धालुओं का भारी उत्साह—10 कुंतल फूलों से सजा धाम
कपाट बंद होने के इस पावन अवसर पर बदरीनाथ धाम में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर प्रशासन के अनुसार, आज 5000 से अधिक भक्तों के पहुंचने की संभावना है।
मंदिर परिसर को:
से सजाया गया है, जिससे पूरा धाम दिव्य और भव्य दिखाई दे रहा है। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं।
शीतकालीन पूजा अब जोशीमठ में
कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन अवधि में बदरीनाथ की पूजा जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में की जाएगी। यहां भगवान बदरी विशाल की गद्दी स्थापित की जाएगी और अगले वर्ष अप्रैल–मई में कपाट खुलने तक सभी अनुष्ठान उसी स्थान से संपन्न होंगे।
चारधाम यात्रा का शांतिपूर्ण समापन
चारधाम यात्रा का यह सीजन सफल और शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हुआ। लाखों श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ सहित यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के दर्शन किए। अब बदरीनाथ धाम बर्फ़ की चादर में ढक जाएगा और अगले छह महीनों तक शीतकालीन विराम में रहेगा।