प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 दिनों के लिए पांच देशों के दौरे पर हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत के बढ़ते प्रभाव और वैश्विक रणनीतिक हितों को दर्शाता है। वे पहले घाना, फिर कैरिबियन देश त्रिनिदाद और टोबैगो में गए, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। अब वे अर्जेंटीना में हैं और कल तक वहीं रहेंगे। इसके बाद वे नामीबिया और ब्राजील के दौरे पर जाएंगे। इस दौरे की खासियत और मकसद क्या है, आइए विस्तार से जानते हैं।
पांच देशों का दौरा: एक व्यापक रणनीति
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल औपचारिक मुलाकातों या समारोहों में भाग लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक हितों, और वैश्विक कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इन पांचों देशों का चयन विशेष तौर पर भारत की ऊर्जा जरूरतों, खनिज संसाधनों, और ब्रिक्स समूह के विस्तार को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
घाना: लिथियम का बड़ा भंडार
घाना में विश्व के सबसे बड़े लिथियम भंडारों में से एक मौजूद है। लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी स्टोरेज की दुनिया में अहम भूमिका निभाता है। भारत जैसे देश के लिए, जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है, घाना का यह संसाधन बेहद महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-घाना संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ लिथियम पर सहयोग के नए द्वार खोल सकती है।
त्रिनिदाद और टोबैगो: हाइड्रोकार्बन्स के स्रोत
त्रिनिदाद और टोबैगो तेल और गैस के भंडारों के लिए जाने जाते हैं। इन देशों के हाइड्रोकार्बन संसाधन भारत के भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद कर सकते हैं। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को विविधतापूर्ण स्रोतों से पूरा करने के प्रयास में है, और ये देश इसके लिए रणनीतिक साझेदार साबित हो सकते हैं।
अर्जेंटीना: लिथियम और शेल गैस का बड़ा भंडार
अर्जेंटीना दुनिया के दूसरे सबसे बड़े लिथियम भंडार और शेल गैस के भंडार के लिए प्रसिद्ध है। यह भारत के लिए ऊर्जा और तकनीकी सहयोग के नए अवसर प्रदान करता है। साथ ही, अर्जेंटीना में प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे, जो वैश्विक आर्थिक मंच पर भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।
नामीबिया: परमाणु ऊर्जा के लिए यूरेनियम
नामीबिया में दुनिया के सबसे बड़े यूरेनियम भंडारों में से एक है। यूरेनियम परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए अनिवार्य है। भारत की परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के लिए यह सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। नामीबिया के साथ ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ता सहयोग भारत की ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूत करेगा।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और वैश्विक कूटनीति
2025 में ब्राजील के रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स का 17वां शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी हिस्सा लेंगे। ब्रिक्स समूह 11 सदस्य देशों का बड़ा गठबंधन है, जिसमें प्रमुख उभरती आर्थिक शक्तियां शामिल हैं। ब्रिक्स का विस्तार भारत को वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मंच पर मजबूती प्रदान करता है, जिससे विकासशील देशों के बीच सहयोग और प्रभाव बढ़ता है।
ब्रिक्स का महत्व और भारत का रोल
ब्रिक्स की स्थापना 2009 में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने की थी। अब इसमें सऊदी अरब, मिस्र, यूएई, इथियोपिया, ईरान और इंडोनेशिया समेत 11 सदस्य देश हैं। यह समूह वैश्विक आर्थिक संतुलन को नया आयाम देने की कोशिश कर रहा है। भारत के लिए ब्रिक्स मंच विकास, निवेश, तकनीकी सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का पांच देशों का यह दौरा केवल कूटनीतिक यात्राओं का सिलसिला नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक प्रभाव को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया में संसाधनों की उपलब्धता भारत के लिए नए द्वार खोलती है। साथ ही ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी से यह साफ है कि देश वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।