लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच सीटों का बंटवारा अभी तक तय नहीं हो सका है. इसका मुख्य कारण यह माना जा रहा है कि एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी सीटों के बंटवारे में बड़ी हिस्सेदारी चाहती है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.
राज बब्बर पिछला चुनाव फ़तेहपुर सीकरी से हार गए थे.
INDIA Alliance is talking on this seat sharing formula in Uttar Pradesh.
UP (80 Seats)
* SP - 58 Seats
* INC - 15 Seats
* RLD -06 Seats
* ASP -01 Seats
Apart from this, SP can also give one seat to JDU.
This is when BSP is not part of the Alliance.#LokSabhaElections2024
— Harshvardhan tiwari (@poetvardhan) December 31, 2023
उत्तर प्रदेश में लखनऊ सबसे ज्यादा चर्चा में है. कांग्रेस यहां से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को मैदान में उतारना चाहती है. लेकिन यहां से सपा विधायक और पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने अपना अभियान शुरू कर दिया है. अभिनेता से नेता बने राज बब्बर ने पिछला लोकसभा चुनाव फतेहपुर सीकरी से लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। यहां से बीजेपी के राजकुमार चाहर जीते. तब राज बब्बर तीसरे स्थान पर थे. बसपा प्रत्याशी श्रीभगवान शर्मा दूसरे स्थान पर रहे।
2019 में लखनऊ सीट पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी
गठबंधन सूत्रों के मुताबिक, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 10 से 12 सीटें देना चाहते हैं. लेकिन कांग्रेस की महत्वाकांक्षा इससे कहीं बड़ी है. जानकारी के मुताबिक, अब तक की बातचीत के मुताबिक, कांग्रेस ने रायबरेली सीट के अलावा उन सीटों की भी मांग की है, जहां पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी. 2019 चुनाव में लखनऊ लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से बीजेपी के राजनाथ सिंह ने जीत हासिल की थी. सपा प्रत्याशी पूनम सिन्हा दूसरे और कांग्रेस प्रमुख प्रमोद कृष्णन तीसरे स्थान पर रहे। इस हिसाब से लखनऊ सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आनी चाहिए, लेकिन कांग्रेस यहां से राज बब्बर पर दांव आजमाना चाहती है. अब देखने वाली बात ये है कि क्या कांग्रेस अपना मसला सुलझा पाएगी या फिर उसे सपा से समझौता करना पड़ेगा.
इन बैठकों पर दोनों दलों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है.
पिछले चुनाव में अमेठी, कानपुर, फ़तेहपुर सीकरी राज्य की प्रमुख सीटें थीं जहां कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी। इसके अलावा कांग्रेस राज्य में महागठबंधन के तहत लखनऊ, बरेली, उन्नाव, सहारनपुर, लखीमपुर खीरी और फर्रुखाबाद जैसी सीटों की भी मांग कर रही है, जिस पर फिलहाल दोनों पार्टियों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है. कांग्रेस की ओर से यह भी तर्क दिया जा रहा है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने दम पर 21 सीटें जीती थीं.
उत्तराखंड में दो सीटें मांग रही है सपा, कांग्रेस पार्टी में नहीं
Uddhav demanded 23/48 seats in Maharashtra-CONgress refused
Akhilesh not willing to give more than 7 seats to CONgress in UP
Tejasvi not willing to give more than 5 seats to CONgress in Bihar
Didi isn’t even willing to give 5 seats to CONgress in WB
Kejriwal wants to give 4…
— Flt Lt Anoop Verma (Retd.) 🇮🇳 (@FltLtAnoopVerma) December 28, 2023
कांग्रेस का कहना है कि इनमें से कई सीटों पर उसकी स्थिति अब भी मजबूत है, इसलिए इनमें से कुछ सीटें कांग्रेस को जरूर मिलनी चाहिए. लेकिन सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी दलील दे रही है कि अगर कांग्रेस इतनी सीटें मांग रही है तो उसे अपने उम्मीदवार भी घोषित करने चाहिए. समाजवादी पार्टी ने खुद उत्तराखंड में कांग्रेस से हरिद्वार और नैनीताल सीटें मांगी हैं, लेकिन कांग्रेस वहां एसपी को कोई सीट नहीं देना चाहती है.