दशहरा 2023: हर साल शारदीय नवरात्रि समाप्त होते ही दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। इसी वजह से हम हर साल इस दिन को मनाते हैं। पंचांग के अनुसार यह त्यौहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन रामलीला के साथ-साथ रावण का पुतला जलाने की भी परंपरा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि दशहरा का त्योहार सिर्फ श्री राम द्वारा रावण के वध के लिए ही नहीं बल्कि कई अन्य कारणों से भी मनाया जाता है। इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत और अन्याय पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है। जानिए दशहरा उत्सव के पीछे के मिथक।दशहरा मनाने के पीछे कई मिथक हैं, जिनमें से तीन प्रमुख कहानियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं।
भगवान राम ने रावण का वध किया
वाल्मिकी रामायण के अनुसार भगवान राम ने आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मां दुर्गा की पूजा की थी। इसके बाद दसवें दिन उन्होंने रावण का वध कर दिया। इसी कारण से हर साल विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है।
माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया
एक अन्य कथा के अनुसार, महिषासुर और मां दुर्गा के बीच युद्ध नौ दिनों तक चला और दसवें दिन उन्होंने महिषासुर का वध कर दिया। इसी कारण विजय के प्रतीक के रूप में आश्विन माह के दसवें दिन विजयादशमी मनाई जाती है। इसे मां दुर्गा असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाती हैं।
पांडवों की जीत हुई
एक पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन पांडव वनवास गए थे और वनवास समाप्त होने के बाद शक्ति पूजा के साथ शमी वृक्ष में रखे हथियार निकालकर कौरवों पर हमला कर दिया था और जीत हासिल की थी।