भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के प्रमुख संस्थानों AIIMS नई दिल्ली और PGI चंडीगढ़ की फैकल्टी एसोसिएशनों ने अपनी-अपनी जनरल बॉडी मीटिंग्स में रोटेटरी हेडशिप नीति के लागू न होने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। AIIMS की जनरल बॉडी मीटिंग 16 अप्रैल 2025 को और PGI चंडीगढ़ की जनरल बॉडी मीटिंग 17 अप्रैल 2025 को आयोजित की गई, जिसमें इन दोनों संस्थानों के कर्मचारियों ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया कि रोटेटरी हेडशिप प्रणाली और कोलेजियम सिस्टम दोनों ही संस्थानों के प्रशासनिक ढांचे में न्यायपूर्ण, पारदर्शी और लोकतांत्रिक बदलावों के लिए आवश्यक हैं।
क्या है रोटेटरी हेडशिप नीति?
रोटेटरी हेडशिप नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी संस्थान में नेतृत्व का पद स्थायी रूप से एक व्यक्ति के पास न रहे। इसके तहत योग्य व्यक्तियों को बारी-बारी से नेतृत्व का अवसर दिया जाता है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा मिलता है। इस नीति के तहत, विभागों और संगठनों में नेतृत्व का पद चक्रीय तरीके से बदलता रहता है, ताकि हर व्यक्ति को नेतृत्व करने का समान अवसर मिल सके और एक व्यक्ति की निरंतर प्रभुत्व में आने की स्थिति से बचा जा सके।
सरकार की प्रतिबद्धता और फैकल्टी एसोसिएशनों की चिंता
वर्ष 2023 में, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने औपचारिक रूप से घोषणा की थी कि AIIMS नई दिल्ली और PGI चंडीगढ़ में जून 2024 से रोटेटरी हेडशिप नीति लागू की जाएगी। हालांकि, लगभग एक साल बीत चुका है और फैकल्टी एसोसिएशनों द्वारा बार-बार निवेदन किए जाने के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसके बावजूद, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से कई बार संवाद स्थापित किया गया है, परंतु अब तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोनों एसोसिएशनों को मिलने का समय नहीं दिया है, जिसे अनुचित और टालमटोल माना जा रहा है।
फैक्टी एसोसिएशनों का चेतावनी
इस उदासीनता को देखते हुए, AIIMS नई दिल्ली और PGI चंडीगढ़ के फैकल्टी एसोसिएशनों ने 17 अप्रैल 2025 से 14 दिन की समयसीमा तय की है, जिसके भीतर रोटेटरी हेडशिप नीति को लागू करने की चेतावनी दी गई है। यदि इस समय सीमा के भीतर सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाती है, तो 1 मई 2025 से चरणबद्ध विरोध प्रदर्शन शुरू करने की योजना बनाई गई है। पहले महीने में काली पट्टी पहनकर विरोध किया जाएगा, जबकि दूसरे महीने में भूख हड़ताल की जाएगी। इसके बाद, यदि सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो विरोध का तरीका और कठोर किया जाएगा।
“हम एकजुट हैं” – साझा बयान
AIIMS और PGI चंडीगढ़ की फैकल्टी एसोसिएशनों ने एक साझा बयान में कहा कि वे संस्थानों की गरिमा, नेतृत्व में समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट हैं। एसोसिएशनों ने सरकार से यह अपील की है कि वह अपनी घोषित प्रतिबद्धता का सम्मान करे और फैकल्टी को आंदोलन के लिए विवश न करे, विशेषकर जब यह नीति पहले ही घोषित की जा चुकी है और लंबे समय से इसके लागू होने की प्रतीक्षा की जा रही है।
क्यों है यह नीति महत्वपूर्ण?
रोटेटरी हेडशिप नीति को लागू करने से संस्थानों में स्थायित्व और समान अवसरों का सिद्धांत प्रकट होता है। यह नीति न केवल शक्ति का केंद्रीकरण रोकती है, बल्कि प्रत्येक योग्य सदस्य को नेतृत्व का अवसर प्रदान करती है, जिससे संगठन में नई सोच और नवाचार को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, यह नीति संस्थान के आंतरिक प्रशासन को भी प्रभावी और समर्थ बनाती है, जिससे पारदर्शिता और लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय लिए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
AIIMS और PGI चंडीगढ़ के फैकल्टी एसोसिएशनों द्वारा रोटेटरी हेडशिप नीति के लिए की जा रही यह पहल संस्थानों में समानता, न्याय और पारदर्शिता लाने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह अपने घोषित वादों को पूरा करे और समय रहते इस नीति को लागू करे, ताकि इन प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रशासनिक संरचना सुनिश्चित हो सके।