करिश्मा तन्ना की वेब सीरीज स्कूप ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है. आज भले ही मुंबई का गैंगवार खत्म हो चुका है लेकिन 80 के दशक से हाजी मस्तान से लेकर दाऊद और छोटा राजन तक कई डॉन की कहानियां मुंबई की गलियों में अब भी बयां की जाती हैं. नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई स्कूप इस क्राइम वर्ल्ड के साथ पुलिस कनेक्शन का एक घिनौना चेहरा दिखाते हुये, खबरनवीसों के खुद खबर बनने, किसी बड़े स्कूप की तलाश में नैतिक मूल्यों की अनदेखी और पारिवारिक मूल्यों की ताकत पर सशक्त टिप्पणी करते हुए चलती है।
कहानी
स्कूप सीरीज में कहानी की शुरू होती हैं जागृति से. अखबार के पांचवे पन्ने पर आई हुई खबर पर अपनी नातिन की बायलाइन देख खुश होने वाले नानाजी और इसी अखबार के फर्स्ट पेज पर यानी पहले पन्ने पर अपनी खबर लगे इस लिए जमीन आसमान एक करने वाली जागृति दोनों मुंबई शहर में रहते हैं. कोर्ट रूम रिपोर्टिंग से शुरू हुआ जागृति का करियर क्राइम बीट पर आ पहुंचता है. क्राइम रिपोर्टर जागृति सीनियर इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट जयदेब सेन से काफी प्रभावित है.
पर्सनल लाइफ की बात करे तो मुंबई के एक मिडिल क्लास सोसाइटी में रहने वाली ये पत्रकार डिवोर्सी है, अपनी मां, नाना-नानी और मामा के साथ रहने वाली जागृति का एक बेटा भी हैं. एक एक्सक्लूसिव खबर पाने के लिए अपनी छुट्टियां, समय सब कुछ न्योछावर करने वाली इस पत्रकार के कई सपने हैं. अपने बेटे के बेहतर विकास के लिए उसे हॉस्टल में डाल देती है, अपने पाठक परिवार में खुद का घर लेने वाली वो पहली लड़की हैं. उसके घरवालों को अपनी बेटी पर गर्व है.
अपने काम को लेकर काफी पैशनेट जागृति अपने सोर्सेस के साथ साथ मुंबई पुलिस में भी अपनी अच्छी पहचान के लिए जानी जाती हैं. ये उन दिनों की कहानी है, जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड का कब्जा था और कई सीनियर क्राइम रिपोर्टर्स अपनी बेबाक पत्रकारिता के साथ इन खबरों को दुनिया के सामने लाने की जल्दोजहद में जुड़ जाते थे. ऐसी ही एक बड़ी स्टोरी पर काम करने वाले जयदेब सेन की गोली मारकर हत्या की जाती हैं. मकोका के तहत पुलिस जागृति को गिरफ्तार करते हैं. क्या जागृति खुद को निर्दोष साबित कर पाएगी. क्या पुलिस जयदेब के असली कातिल तक पहुंचेगी, इस सब के पीछे किसका हाथ है इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको स्कूप देखनी होगीं.
डायरेक्शन और स्क्रिप्ट
स्कूप की कहानी मशहूर पत्रकार जिग्ना वोरा की किताब बिहाइंड द बार्स इन भायखला: माय डेज इन प्रिजन पर आधारित है. ये कहानी वेबसीरीज के माध्यम से दर्शकों के सामने पेश करना बड़ी हिम्मत की बात है क्योंकि जिस अनफिल्टर तरीके से जिग्ना ने ये किताब लिखी हैं, उसी शिद्दत से डायरेक्टर और राइटर ने ये कहानी ऑडियंस तक पहुंचाने की कोशिश की है. ये कोशिश सीधा सीरीज देखने वाले के दिल को छू जाती है. एक वेब सीरीज के लिए जरुरी ड्रामा, सस्पेंस, थ्रिलर और इमोशन्स सब एलिमेंट्स इस कहानी में आपको मिलेंगे.
एक्टिंग
जागृति पाठक के किरदार में करिश्मा तन्ना पूरी तरह से छा जाती हैं. ये करिश्मा के करियर का बेस्ट परफॉर्मेन्स हैं. एक निडर पत्रकार, एक बेटी, एक मां और फिर एक मजबूर कैदी के रूप में करिश्मा ने जबरदस्त एक्टिंग की है. सिर्फ करिश्मा ही नहीं स्कूप की कास्टिंग इस वेब सीरीज की सफलता का अहम हिस्सा होगा. सभी कालाकारों की शानदार एक्टिंग ने जान फूंकने का काम किया है. अपनी एम्प्लॉए के पीछे हमेशा खड़े रहने वाले और उसे मार्गर्शन करने वाले जीशान अय्युब खान के साथ अपनी भांजी के लिए अपना सब कुछ दांवपर लगाने वाले मामा के रूप में देवें भोजानी याद रहते हैं.
कन्क्लूजन
स्कूप एक ऐसी कहानी है, जिस कहानी के साथ-साथ मुंबई पुलिस, तत्कालीन सरकार, कानून एवं व्यवस्था पर कई आरोप लगाए गए हैं. हालांकि इन में कितनी सच्चाई है, ये सवाल इस सीरीज पर हमेशा रहेगा, ये सीरीज अखबार, न्यूज चैनल और उनके सिस्टम पर भी निशाना साधती है. मीडिया ट्रायल और विच हंट पर भी इस वेब सीरीज के जरिए प्रहार करने की कोशिश की गई है और आखिर में हम जिग्ना की जुबानी उनकी कहानी सुन सकते हैं. सबूतों के अभाव में 2018 विशेष महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) अदालत ने जिग्ना को बरी कर दिया गया.
क्यों देखें
नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई स्कूप क्राइम और थ्रिलर वेब सीरीज देखना पसंद करने वाले दर्शकों के लिए एक बेहतरीन पर्याय है. कलाकारों की शानदार एक्टिंग और असरदार प्रेजेंटेशन के लिए ये सीरीज देखी जा सकती हैं. पत्रकार जिग्ना वोहरा का नाम पिछले कई सालों से चर्चा में हैं, अगर आपको उनका पक्ष सुनना है, तो आप इस वेब सीरीज के जरिए उन्हें एक मौका देख सकते हैं.