दैनिक पंचांग के अनुसार आज से पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि और मंगलवार का दिन है. इसके साथ ही आज ईसाइयों का प्रमुख त्योहार क्रिसमस डे मनाया जा रहा है. जबकि हिंदू धर्म में इस दिन तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है. आइए जानते हैं, दिनभर के शुभ और अशुभ मुहूर्त के बारे में. यहां पढ़ें पूरा पंचांग.
आज का पंचांग- 25 December 2024 (Aaj Ka Panchang)
श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम्
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धर्मो रक्षति रक्षितः पंचांग-25.12.2024
युगाब्द - 5125
संवत्सर - कालयुक्त
विक्रम संवत् -2081
शाक:- 1946
ऋतु- शिशिर __ उत्तरायण
मास - पौष _कृष्णपक्ष
वार - बुधवार
तिथि_ दशमी 22:28:39
नक्षत्र चित्रा 15:21:15
योग अतिगंड 21:45:30
करण वणिज 09:12:13
करण विष्टि भद्र 22:28:39
चन्द्र राशि - तुला
सूर्य राशि - धनु
आज विशेष ! श्री पार्श्वनाथ जयंती
🍁 अग्रिम (आगामी) पर्वोत्सव 🍁
🔅 सफला एकादशी व्रत
. 26 दिसंबर 2024
(गुरुवार)
🔅 प्रदोष व्रत
. 28 दिसंबर 2024
(शनिवार)
🔅 देव पितृ सोमवती अमावस
. 30 दिसंबर 2024
(सोमवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️
💐भाग्य की दौलत💐
एक बार एक महात्मा जी भगवद्चिंतन करते हुए जा रहे थे तो उन्हें एक व्यक्ति ने रोक लिया वह व्यक्ति अत्यंत गरीब था। बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाता था। उस व्यक्ति ने महात्मा जी से कहा. महात्मा जी, आप परमात्मा को जानते है, उनसे बातें करते हैं। अब जब परमात्मा से मिले तो उनसे कहियेगा कि मुझे सारी उम्र में जितनी दौलत मिलनी है, कृपया वह एक साथ ही दे दें ताकि कुछ दिन तो में चैन से जी सकूँ ।
महात्मा ने उसे समझाया - मैं तुम्हारी दुःख भरी कहानी परमात्मा को सुनाऊंगा लेकिन तुम जरा खुद भी सोचो, यदि भाग्य की सारी दौलत एक साथ मिल जायेगी तो तुम आगे की ज़िन्दगी कैसे गुजारोगे ? किन्तु वह व्यक्ति अपनी बात पर अडिग रहा। महात्मा उस व्यक्ति को आशा दिलाते हुए आगे बढ़ गए। इन्हीं दिनों में महात्मा जी को ईश्वरीय ज्ञान मिल चुका था। महात्मा जी ने उस व्यक्ति के लिए विनती की। परमात्मा की कृपा से कुछ दिनों बाद उस व्यक्ति के पास काफी धन दौलत आ गई। जब धन दौलत मिल गई तो उसने सोचा, मैंने अब तक गरीबी के दिन काटे है, ईश्वरीय सेवा कुछ भी नहीं कर पाया अब मुझे भाग्य की सारी दौलत एक साथ मिली है। क्यों न इसे ईश्वरीय सेवा में लगाऊँ क्योंकी इसके बाद मुझे यह दौलत मिलने वाली नहीं। ऐसा सोचकर उसने लगभग सारी दौलत ईश्वरीय सेवा में लगा दी।
समय गुजरता गया। लगभग दो वर्ष पश्चात् महात्मा जी उधर से गुजरे तो उन्हें उस व्यक्ति की याद आयी। महात्मा जी सोचने लगे - वह व्यक्ति जरूर आर्थिक तंगी में होगा क्योंकी उसने सारी दौलत एक साथ पायी थी और आगे उसे कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ होगा। यह सोचते -सोचते महात्मा जी उसके घर के सामने पहुँचे लेकिन यह क्या ! झोपड़ी की जगह महल खड़ा था ! जैसे ही उस व्यक्ति की नज़र महात्मा जी पर पड़ी, महात्मा जी उसका वैभव देखकर आश्चर्य चकित हो गए। इसके भाग्य में दौलत कैसे बढ़ गई ?
वह व्यक्ति नम्रता से बोला, महात्माजी, मुझे जो दौलत मिली थी, वह मैंने चन्द दिनों में ही ईश्वरीय सेवा में लगा दी थी। उसके बाद दौलत कहाँ से आई - मैं नहीं जनता। इसका जवाब तो परमात्मा ही दे सकता है। महात्मा जी वहाँ से चले गये। और एक विशेष स्थान पर पहुँच कर ध्यान मग्न हुए। उन्होंने परमात्मा से पूछा यह सब कैसे हुआ ? महात्मा जी को आवाज़ सुनाई दी। किसी की चोर ले जाये , किसी की आग जलाये, धन उसी का सफल होगा जो ईश्वर अर्थ में लगाये। जो व्यक्ति जितना कमाता है उसका कुछ हिस्सा अगर ईश्वरीय सेवा कार्य में लगाता है तो उस का फल अवश्य मिलता है। इसलिए कहा गया है सेवा का फल तो मेवा है..!
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने ।।
सदैव प्रसन्न रहिये!!
जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!
जय जय श्री सीताराम👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य, पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर, (जयपुर)