सोनिया मिश्रा/चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले के कई गाँव खास हैं और माणा गाँव उन गाँवों में से एक है, क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ व्यासजी ने महाभारत की कहानी सुनाई थी और गणेशजी ने गणेश गुफा में बैठकर कहानी लिखी थी। यह गांव बद्रीनाथ धाम से सिर्फ 3 किमी दूर है, जहां प्राचीन गणेश गुफा स्थित है। गुफा में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित है। आज भी यहां देश-विदेश से श्रद्धालु गणेश जी और महर्षि देव व्यास के दर्शन के लिए आते हैं।
इस तरह महाभारत की रचना हुई
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की कहानी लिखने के लिए भगवान गणेश का स्मरण किया था। उन्होंने गणेश से महाभारत लिखने का अनुरोध किया, जिस पर गणेश ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि गणेश ने महर्षि वेदव्यास के सामने एक शर्त रखी। गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास से कहा कि आपको बिना रुके लगातार महाभारत की कथा सुनानी है। इस पर महर्षि वेदव्यास ने भी गणेश जी से शर्त रखी कि वे बिना समझे वाक्य नहीं लिखेंगे। इसके बाद महाभारत का लेखन प्रारंभ हुआ।
जब तक गणेश वाक्य को समझेंगे तब तक महर्षि को सोचने का समय मिल गया होगा। इस प्रकार महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास और भगवान श्री गणेश ने की थी। पूर्व पुजारी भुवन उनियाल का कहना है कि भगवान व्यास ने यहां गणेश का आह्वान किया था, जिसके बाद गणेश इसी गणेश गुफा में बैठकर पुराण लिखने लगे।
इस प्रकार गुफा में पहुँचेगणेश गुफा तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले माणा गांव आना पड़ता है और माना गांव से थोड़ी दूर पर गणेश गुफा, व्यास गुफा, मुचकुंद गुफा स्थित है। माणा गांव तक सड़क संपर्क पूरी तरह से सुलभ है। वहीं, निकटतम हवाई सेवा केवल गौचर के लिए उपलब्ध है और निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश, देहरादून है।