श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए लोग इस दिन कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी के शुभ दिन पर व्रत रखने और भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा करने से साधक को विशेष फल मिलता है। श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात्रि 12 बजे हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष भाद्रपद माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जी के जन्म का उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और रात 12 बजे व्रत खोला जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी.
आज हम आपको शास्त्रों में बताए गए उन पांच प्रभावशाली उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जन्माष्टमी की रात 12 बजे करने से साधक को श्री कृष्ण की विशेष कृपा मिल सकती है।
माखन-मिश्री का भोग लगाएं
-जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे व्रत खोलकर श्रीकृष्ण को अपने हाथों से बनाया गया माखन-मिश्री का भोग लगाएं। माखन-मिश्री भगवान कृष्ण का पसंदीदा भोजन माना जाता है। अत: इसका भोग लगाकर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न किया जा सकता है।
शंख से अभिषेक करें
-जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे सबसे पहले शंख बजाना चाहिए। फिर दक्षिणावर्ती शंख में पंचामृत डालें और उससे श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें उनकी पसंदीदा चीजें खिलाएं। इससे आपको श्री कृष्ण की विशेष कृपा मिलेगी, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, धन, प्रसन्नता, वैभव और सफलता मिलेगी।
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पान के पत्तों का प्रयोग विशेष रूप से पूजा-पाठ में किया जाता है। कृष्णजन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे के बाद भगवान कृष्ण को पान चढ़ाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं, जिनके आशीर्वाद से आपको धन संबंधी सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
बांसुरी अर्पित करें
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को बांसुरी चढ़ाना शुभ माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि बांसुरी कृष्ण को अत्यंत प्रिय है। इसलिए जो भक्त सच्चे मन से उन्हें बांसुरी अर्पित करता है, भगवान उस पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
खीरे को काट लें
-जन्माष्टमी के दिन जब रात के 12 बजे हों, ठीक उसी समय खीरा काटना चाहिए। दरअसल, जैसा कि हर बच्चा अपनी मां के गर्भ से पैदा होता है और उसके जन्म के बाद बच्चे की गर्भनाल काटकर मां के गर्भाशय से अलग कर दी जाती है। इसी तरह जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे डंठल वाले खीरे को सिक्के की सहायता से काटकर उसमें से लड्डू गोपाल निकाले जाते हैं.
इसके लिए सुबह-सुबह एक डंठल वाले खीरे में लड्डू गोपाल को रख दें और रात को उसी खीरे को काट लें। ऐसा करने से आपको अपनी पूजा का पूरा फल अवश्य मिलेगा और आप जीवन में हमेशा खुश रहेंगे।