'रोटी और राशन के लिए तरसा कंगाल पाकिस्तान' गिलगिट-बालटिस्तान में गेंहूं की कीमतों के विरोध प्रदर्शन में जुटे लाखों लोग

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Posted On:Monday, January 29, 2024

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है और देश भयानक कर्ज के जाल में फंस गया है. हालात इतने खराब हैं कि अब दूसरे देशों ने भी पाकिस्तान सरकार को कर्ज देने से साफ इनकार कर दिया है. हाल ही में बिजली के दाम बढ़ाए गए और लोगों के घरों में हजारों रुपये के बिजली बिल पहुंच रहे हैं. भारी विरोध के बाद सरकार को यह आदेश वापस लेना पड़ा. अब गेहूं की कीमत के विरोध में हजारों स्थानीय नागरिक सड़कों पर उतर रहे हैं.

गिलगित-बाल्टिस्तान में हंगामा मचा हुआ है और लोग विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. कुछ दिन पहले पूरे पाकिस्तान में लोग बिजली बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. पाकिस्तान में चुनाव से पहले आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। लोगों के लिए दो वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार ने गेहूं की कीमत बढ़ा दी है और इसके खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बढ़ी कीमतों के विरोध में गिलगित-बाल्टिस्तान के सभी जिलों में लोग सड़कों पर उतर आए। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और महंगाई, बेरोजगारी, कालाबाजारी भी बड़ी समस्या है. चुनाव से पहले लोगों का धैर्य खत्म हो रहा है.

पाकिस्तान में एक महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहा है

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और होटल मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियनों के साथ चर्चा में अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) ने हड़ताल का आह्वान किया था। सब्सिडी वाले गेहूं की कीमत बढ़ाने के सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. गिलगित-बाल्टिस्तान के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी महंगाई के खिलाफ आम लोग सड़कों पर उतर आए हैं.

सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ भेदभाव कर रही है

आरोप हैं कि पाकिस्तान सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ भेदभाव कर रही है. कई स्थानीय संगठनों का कहना है कि सरकार सार्वजनिक सुविधाओं और राष्ट्रीय संसाधनों का असमान वितरण करती है। पाकिस्तान का यह इलाका आर्थिक रूप से पिछड़ा है और यहां बिजली का भी संकट है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इस इलाके में 22 घंटे तक बिजली नहीं रहती है और लोग खेती के लिए पुराने तरीकों पर निर्भर हैं।


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