ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई का सपना देख रहे भारतीय छात्रों को एक और बड़ा झटका लगा है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अपनी वीज़ा आवश्यकताओं में एक और बड़े बदलाव की घोषणा की है। एंथोनी अल्बानीज़ सरकार द्वारा किए जा रहे बदलावों में एक प्रावधान है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपनी बचत का प्रमाण दिखाना होगा। यह रकम कम से कम 29,710 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर होनी चाहिए. भारतीय मुद्रा में यह राशि लगभग 16 लाख 30 हजार 735 रुपये है, जो कई मध्यमवर्गीय भारतीय छात्रों के लिए बहुत बड़ी रकम है। आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने पिछले सात महीनों में दूसरी बार यह रकम बढ़ाई है.
एंथोनी अल्बानीज़ इतने कठोर निर्णय क्यों ले रहे हैं?
प्रधान मंत्री अल्बानीज़ की सरकार ने छात्र वीज़ा प्रक्रिया को और अधिक कठिन बनाने के लिए कई उपाय किए हैं। इसमें आईईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) स्कोर बढ़ाना भी शामिल है। इस परीक्षण का उद्देश्य उन लोगों के लिए अंग्रेजी भाषा पर पकड़ का परीक्षण करना है जिनकी मातृभाषा अंग्रेजी नहीं है। इस परीक्षा को पास करना जरूरी है. माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार बढ़ते प्रवासन और छात्र वीजा धोखाधड़ी की आशंकाओं को देखते हुए ऐसे कठिन फैसले ले रही है। लेकिन वार्षिक प्रवासन को आधा करने के उद्देश्य से किए गए इन कठोर प्रयासों ने भारत से यहां आने वाले छात्रों की संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
क्या ऑस्ट्रेलिया भारतीयों को निशाना बना रहा है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 के बीच भारतीय छात्रों को जारी किए जाने वाले वीजा की संख्या में 48 फीसदी की गिरावट आई है। हालाँकि, भारतीय छात्र अभी भी ऑस्ट्रेलिया में अध्ययन के लिए दाखिला लेने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में दूसरे स्थान पर हैं। इस बीच यह भी दावा किया गया है कि ऑस्ट्रेलिया भारतीय छात्रों को निशाना बना रहा है और जानबूझकर उन्हें वीजा नहीं दे रहा है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन दावों को लेकर भारत स्थित एक पूर्व ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक ने भी चिंता जताई है कि इस तरह के कदम से द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. साल 2023 में जनवरी से सितंबर तक यहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 1.22 लाख थी.