छह गेंदों पर छह छक्के. 12 गेंदों में अर्धशतक. 2011 विश्व कप मैन ऑफ द सीरीज खिलाड़ी। और जाने कितने यादगार पल युवराज सिंह ने भारतीय क्रिकेट को दिए. 2007 टी20 वर्ल्ड कप जीतने के लिए एमएस धोनी की कप्तानी की काफी तारीफ की जाती है, लेकिन युवी ने खिताब जीतने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी. इंग्लैंड के खिलाफ अहम मैच में 16 गेंदों पर 58 रन की पारी. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 30 गेंदों में 70 रनों की शानदार पारी खेली. यही वो पारी थी जिसने भारत को टी20 वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई. चार साल बाद वनडे वर्ल्ड कप में भी युवी ने बल्ले और गेंद से इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि वह विश्व क्रिकेट के सबसे चहेते खिलाड़ी बन गए. युवराज आज अपना 43वां जन्मदिन मना रहे हैं.
2007 में टीम इंडिया टी-20 चैंपियन बनी
साल 2007 में टीम इंडिया को टी-20 वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई. पूरे टूर्नामेंट में युवी का प्रदर्शन बेहतरीन रहा. इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए अहम मुकाबले में UVA ने धमाल मचा दिया. बाएं हाथ के बल्लेबाज ने स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में लगातार छह छक्के लगाकर इतिहास रच दिया। युवी ने महज 12 गेंदों में अर्धशतक जड़ा. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए सेमीफाइनल मैच में युवी की पारी ने मैच का रुख पूरी तरह से बदल दिया. युवराज ने कंगारुओं के मजबूत गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त करने के लिए 30 गेंदों पर 70 रनों की शानदार पारी खेली.
2011 विश्व कप का एक यादगार प्रदर्शन
2011 वनडे विश्व कप में युवराज का प्रदर्शन उनके करियर का सबसे यादगार पल माना जाता है। युवी इस टूर्नामेंट में न सिर्फ बल्ले से बल्कि गेंद से भी चमके। बीच के ओवरों में आकर युवराज ने कई अहम साझेदारियां तोड़ीं. युवराज ने 9 मैचों में 90.50 की औसत से 362 रन बनाए। यूवीए ने टूर्नामेंट में एक शतक और चार अर्द्धशतक बनाए। युवराज ने बड़े मैचों में बल्ले से तो रन बनाए ही, गेंद से भी चमक बिखेरी। यूवीए ने 9 मैचों में 15 विकेट लिए। ये 15 विकेट सभी बड़े बल्लेबाजों के थे. युवराज ने कैंसर के कारण मैदान पर खून की उल्टियों को नजरअंदाज करते हुए खुद को पूरी तरह से देश के लिए समर्पित कर दिया।
इन दो वर्ल्ड कप के अलावा युवराज ने अपने करियर में कई बड़े मुकाम हासिल किए. चौथे नंबर पर खेलते हुए युवराज ने कई शानदार पारियां खेलीं, जो क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं. युवी के संन्यास के बाद टीम इंडिया को चौथे स्थान के लिए उनके जैसा कोई बल्लेबाज नहीं मिल सका। यही वजह है कि जब भी भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों और उनके योगदान की बात की जाएगी तो युवराज सिंह का नाम उस लिस्ट में जरूर शामिल होगा.