हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली का त्योहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च, सोमवार को मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में अलग-अलग तरह से होली मनाई जाती है, जिसमें ब्रज की लट्ठमार होली भी शामिल है. ब्रज की लट्ठमार होली देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है.होली के दिन घरों में एक अलग ही माहौल होता है. कई मंदिरों में एक अलग ही भव्यता भी देखने को मिलती है. देश में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां लोग होली खेलने आते हैं। आज हम आपको ब्रज की प्रसिद्ध लट्ठमार होली से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे।
लट्ठमार होली कब खेली जाती है?
आमतौर पर होली का त्योहार एक या दो दिन मनाया जाता है, लेकिन ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है। ब्रज के बरसाना, वृन्दावन, मथुरा और नंदगांव जैसे इलाकों में होली बहुत अलग ढंग से खेली जाती है। यहां हर क्षेत्र की होली एक दूसरे से अलग होती है. यहां 40 दिनों तक आपको सभी भक्त राधा रानी और श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन नजर आएंगे। आपको बता दें कि बरसाना में हर साल फाल्गुन माह में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को लट्ठमार होली खेली जाती है।
कब है नंदगांव की लट्ठमार होली?
आपको बता दें कि हर साल नंद गांव के पुरुष होली खेलने बरसाना आते हैं, जहां महिलाएं उन पर लाठियां बरसाती हैं। जबकि पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं. सबसे पहले 18 मार्च को बरसाना में होली खेली जाती है, उसके बाद 19 मार्च को नंद गांव में लट्ठमार होली खेली जाती है. हर साल बड़ी संख्या में लोग लट्ठमार होली खेलने के लिए ब्रज आते हैं।
लट्ठमार होली क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब श्रीकृष्ण राधा रानी के साथ होली मनाने के लिए बरसा में आए थे, तो वे राधा रानी और उनकी सखियों के साथ हंसी-मजाक करते थे। तब श्रीराधा और उनकी सखियाँ श्री कृष्ण के पीछे लाठियाँ लेकर दौड़ रही थीं। इसके बाद बरसाना में लट्ठमार होली खेलने की परंपरा शुरू हुई। इसीलिए आज भी यहां लट्ठमार होली खेली जाती है।