मुंबई, 24 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि राम मंदिर की छतों से बारिश का पानी टपक रहा है। उन्होंने कहा कि गर्भगृह में, जहां रामलला विराजमान हैं, वहां भी पानी भर गया। अगर एक-दो दिन में इंतजाम नहीं हुए, तो दर्शन और पूजन की व्यवस्था बंद करनी पड़ेगी। उधर, श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, 'मैं अयोध्या में हूं। मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा है, क्योंकि गुरु मंडप खुला है। जब इसके शिखर का काम पूरा हो जाएगा, तो ये ढक जाएगा। फिलहाल ऐसे हालात में ये होना ही है। अयोध्या में शनिवार-रविवार की रात 67 MM बारिश हुई। पूरे शहर में जगह-जगह पानी भर गया। सड़कें धंस गईं। 6 महीने पहले बने अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन की करीब 20 मीटर लंबी बाउंड्री वॉल भी ढह गई।
दरअसल, शनिवार रात 2 से 5 बजे तक तेज बारिश हुई। इसके बाद मंदिर के गर्भगृह के सामने मंडप में 4 इंच तक पानी भर गया। मंदिर के अंदर लोगों को डर था कि कहीं बिजली का करंट न उतर आए। इसलिए सुबह 4 बजे होने वाली आरती टॉर्च की रोशनी में करनी पड़ी। सुबह 6 बजे की आरती भी ऐसे ही हुई। गर्भगृह के अलावा भी जो छोटे मंदिर बने हैं, वहां भी पानी भर गया है। इस पर ध्यान देना चाहिए कि जो बना है, उसमें क्या कमी रह गई? एक तो राम मंदिर से बारिश का पानी निकलने की जगह नहीं है। ऊपर से पानी भी चूने लगा, इससे अव्यवस्था हुई। ये पानी क्यों भरा? इसके जवाब में उन्होंने बताया, पहली मंजिल पर निर्माण जारी है। वहां रॉड लगाने के लिए छेद छूटे हुए हैं। वहीं से मंदिर के अंदर पानी आया था।
वहीं, श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा का कहना है, मैंने नाली से कुछ रिसाव भी देखा, क्योंकि पहली मंजिल पर काम तेज गति से चल रहा है। इसके पूरा होने पर नाली को बंद कर दिया जाएगा। गर्भगृह में कोई जल निकासी नहीं है, क्योंकि सभी मंडपों में पानी की निकासी के लिए ढलान को मापा गया है और गर्भगृह में पानी को मैन्युअल तरीके से निकाला जाता है। उन्होंने बताया, भक्त भगवान का अभिषेक नहीं कर रहे हैं। डिजाइन और निर्माण में किसी भी तरह की समस्या नहीं है। जो मंडप खुले हैं, उनमें बारिश का पानी गिर सकता है, लेकिन नगर वास्तुशिल्प मानदंडों के अनुसार उन्हें खुला रखने का निर्णय लिया गया था।
आपको बता दें, राम मंदिर में अभी सिर्फ एक फ्लोर तैयार है। इसी पर 1800 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। मुख्य शिखर, परकोटा, 5 छोटे शिखर 13 मंदिर, ट्रस्ट के ऑफिस, VVIP वेटिंग एरिया, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, लाइब्रेरी और शोध संस्थान समेत कई काम बाकी हैं। मंदिर के डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन मैनेजर गिरीश सहस्त्रभोजनी बताते हैं कि बचे काम में 2000 करोड़ रुपए की और जरूरत पड़ सकती है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, राम मंदिर के लिए अब तक 3200 करोड़ से ज्यादा का दान मिल चुका है। अब भी दान आ रहा है। कथावाचक मोरारी बापू ने सबसे ज्यादा 11.3 करोड़ रुपए दान किए हैं।