मुंबई, 16 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर स्पेशल कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का केस पहुंच गया है, तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) आरोपी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तार नहीं कर सकता। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने यह आदेश पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले पर दिया है, जिसमें हाईकोर्ट ने आरोपियों की प्रीअरेस्ट बेल याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी। यह केस जमीन घोटाले से जुड़ा है, जिसमें कुछ रेवेन्यू अफसरों को मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी बनाया गया था। बेंच ने कहा कि अदालत के समन के बाद अगर आरोपी पेश हुआ है तो यह नहीं माना जा सकता कि वो गिरफ्तार है। एजेंसी को संबंधित अदालत में कस्टडी के लिए अप्लाई करना होगा।
तो वहीं, ईडी की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी अगर कोर्ट के समन के बाद पेश होता है तो उसे जमानत की अर्जी देने की जरूरत नहीं है। ऐसे में PMLA के सेक्शन 45 के तहत जमानत की शर्तें भी लागू नहीं हैं। कोर्ट समन के बाद अगर आरोपी पेश होता है तो उसकी रिमांड के लिए ED को स्पेशल कोर्ट में एप्लिकेशन देनी होगी। कोर्ट तभी एजेंसी को कस्टडी देगी, जब वह संतुष्ट हो जाएगी कि कस्टडी में पूछताछ जरूरी है। आपको बता दें, अदालत के फैसले का मतलब है कि जब ईडी ने उस आरोपी के खिलाफ कम्प्लेंट भेज दी है, जो जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था। तब अफसर PMLA एक्ट के सेक्शन 19 के तहत मिली स्पेशल पावर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। सेक्शन 19 कहता है कि अगर ED को किसी आरोपी के अपराध में शामिल होने का शक है तो वह उसे गिरफ्तार कर सकती है। मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी अगर जमानत के लिए अपील करता है तो उसके लिए शर्त है। कोर्ट सरकारी वकील की दलीलें सुनेगी और जब वह संतुष्ट हो जाएगी कि व्यक्ति गुनहगार नहीं है और वह बाहर जाकर इसी तरह का कोई जुर्म नहीं करेगा, तब जमानत दी जा सकती है।