मुंबई, 08 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भारत की विविधता को लेकर कहा कि भारत में ईस्ट के लोग चाइनीज और साउथ वाले अफ्रीकन दिखते हैं। सैम पित्रोदा ने अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन को दिए एक इंटरव्यू में यह बयान दिया। उन्होंने कहा, हम 75 साल बहुत खुशहाल माहौल में रहे हैं। लोग इधर-उधर के झगड़ों को छोड़कर एक साथ रहते थे। हम भारत जैसे विविधता वाले देश को एक साथ रख सकते हैं। यहां हम सभी भाई-बहन हैं। हम सभी अलग-अलग भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और खाने का सम्मान करते हैं। यही वह भारत है जिसमें मैं विश्वास करता हूं, जहां हर किसी के लिए एक जगह है। यहां हर कोई एक-दूसरे के लिए थोड़ा-बहुत समझौता करता है। जिसके कुछ ही देर बाद ही कांग्रेस ने इससे किनारा कर लिया। कांग्रेस ने कहा कि भारत की विविधता की ये परिभाषा मंजूर नहीं है। यह गलत है।
बयान पर किसने क्या कहा -
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज मैं बहुत गुस्से में हूं। लोग मुझे गाली दें तो मैं गाली सह लेता हूं; लेकिन शहजादे के फिलॉसफर ने इतनी बड़ी गाली दी है कि मेरे मन में गुस्सा भर गया है। क्या मेरे देश में चमड़ी का रंग देखकर लोगों की योग्यता तय होगी। चमड़ी के रंग का खेल खेलने का हक शहजादे को किसने दिया है। संविधान सर पर लेकर नाचने वाले लोग मेरे देश का अपमान कर रहे हैं। जब बयान सामने आया, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना के वारंगल में सभा कर रहे थे।
कांग्रेस से जयराम रमेश ने कहा, सैम पित्रोदा ने भारत की विविधताओं की जो उपमाएं दी हैं, वह गलत और अस्वीकार्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन उपमाओं से अपने आप को पूर्ण रूप से अलग करती है।
बीजेपी से सुधांशु त्रिवेदी ने कहा सैम पित्रोदा ने भारत, भारतीय संस्कृति, भारत की पहचान और यहां के लोगों की पहचान पर आपत्तिजनक बयान दिया है। ऐसा लगता है कि यह विषय केवल चुनाव या राजनीति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत के अस्तित्व से जुड़ा है, क्योंकि अब भारत के अस्तित्व पर सीधा सवाल उठाया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी से संजय सिंह ने कहा, जहां तक सैम पित्रोदा के बयान का सवाल है, उस तरह के बयान का कहीं दूर-दूर तक INDIA गठबंधन का कोई भी व्यक्ति समर्थन नहीं करता है।
शिवसेना UBT से प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, मैं उनके बयान से सहमत नहीं हूं। लेकिन क्या वह घोषणापत्र समिति के सदस्य हैं, कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं और क्या वह इसी देश में रहते हैं? वह विदेश में रहते हैं। उनके मुद्दों को देश का मुद्दा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।