मुंबई, 13 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। तमिलनाडु के पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में कोयंबटूर महिला अदालत ने 9 लोगों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जज आर नंदिनी देवी ने इन्हें गैंगरेप और बार-बार रेप का दोषी पाया। कोर्ट ने पीड़ित महिलाओं को कुल 85 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। 9 दोषियों ने 2016 से 2018 के दौरान कई महिलाओं का यौन शोषण किया था। पीड़ितों में कॉलेज की छात्राएं और शादीशुदा महिलाएं थीं। दोषियों ने यौन शोषण के वीडियो बनाए थे। उसके जरिए ब्लैकमेल करके महिलाओं के साथ कई बार रेप किया और पैसे भी मांगे। आरोपियों पर 50 से ज्यादा महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का शक था, लेकिन उनमें से केवल 8 ने ही उनके खिलाफ गवाही दी थी। दोषियों में सबरीराजन उर्फ रिशवंत (32 साल), थिरुनावुकारसु (34 साल), टी वसंत कुमार (30 साल), एम सतीश (33 साल, आर मणि उर्फ मणिवन्नन, पी बाबू (33 साल), हारोन पॉल (32 साल), अरुलानंथम (39 साल) और अरुण कुमार (33 साल) हैं।
दरअसल, मामला 24 फरवरी, 2019 को पहली बार तब सामने आया जब 19 साल की एक छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि 12 फरवरी को पोल्लाची के पास चलती कार में चार लोगों ने उसका रेप किया। उन्होंने इसका वीडियो बनाया, उसकी सोने की चेन लूट ली और उसे सुनसान जगह पर छोड़ दिया। लड़की ने अपने परिवार को तब बताया जब आरोपियों ने वीडियो लीक करने की धमकी देकर उससे यौन संबंध बनाने की मांग की। छात्रा दोषियों के खिलाफ बोलने वाली पहली पीड़ित थी। छात्रा की शिकायत के बाद 2019 में सभी युवकों को गिरफ्तार किया गया था। तब से सभी सलेम सेंट्रल जेल में बंद है। युवकों के खिलाफ आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, रेप, गैंगरेप और जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था। युवकों के फोन-लैपटॉप से कई महिलाओं के वीडियो मिले पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप की जांच की थी। इनमें पीड़ितों के कई वीडियो क्लिप मिले थे, जिनका युवकों ने अलग-अलग जगहों पर यौन उत्पीड़न किया था। इनमें से ज्यादातर घटनाएं पोल्लाची के पास चिन्नाप्पलायम में एक दोषी थिरुनावुक्कारारू के फार्महाउस पर हुए थे। शुरू मे स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की थी। बाद में इसे क्राइम ब्रांच-CID को सौंप दिया गया। हालांकि, घटना को लेकर राज्यभर में आक्रोश के बीच तत्कालीन AIADMK सरकार ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को ट्रांसफर कर दिया। एजेंसी ने 25 अप्रैल, 2019 से मामले की जांच शुरू की थी।
वहीं, CBI जांच के दौरान, सिस्टमेटिक तरीके से महिलाओं के साथ यौन शोषण का एक पैटर्न उजागर हुआ था। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उनकी बात मानने से इनकार किया तो वे उनके वीडियो परिवारों और रिश्तेदारों को लीक कर देंगे। CBI के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर सुरेंद्र मोहन ने बताया कि दोषियों ने अपनी कम उम्र और बुजुर्ग माता-पिता का हवाला देते हुए सजा में नरमी की मांग की थी। हालांकि, एजेंसी ने आरोपियों के लिए कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की थी। CBI ने पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा भी मांगा था। सुरेंद्र मोहन ने बताया कि जांच के दौरान कुल 48 गवाहों से पूछताछ की गई थी। उनमें से कोई भी अपने बयान से पलटा नहीं। अदालत में 200 से ज्यादा दस्तावेज और 400 डिजिटल सबूत पेश किए गए, जिनमें फॉरेंसिक जांच वाले वीडियो भी शामिल थे।