मुंबई, 23 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत ने मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस लॉन्चिंग से भारत को नई टेक्नोलॉजी के साथ ऑपरेशनल कैपेबिलिटी मिल गई है। ये टेस्टिंग स्ट्रैटजिक फोर्सेस कमांड के निर्देशन में की गई। ये भी बताया गया है कि ये मिसाइल अग्नि मिसाइल परिवार का हिस्सा नहीं है। इस बीच खबर है कि रूस अगले साल तक भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम (जमीन से हवा में मार करने वाला) की बाकी बची दो यूनिट अगले साल तक दे देगा। यूक्रेन युद्ध के चलते इसकी सप्लाई में देर हो गई। भारत और रूस के बीच 5.5 बिलियन डॉलर (करीब 46 हजार करोड़ रुपए) में 5 यूनिट S-400 मिसाइल सिस्टम देने की डील की थी। इसमें से 3 यूनिट रूस दे चुका है।
दरअसल, भारत चीन की तरफ से खतरे को देखते हुए हवा में ही मिसाइल रोकने की कैपेबिलिटी हासिल करना चाहता है। अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस से 5.5 बिलियन डॉलर की डील की थी। अमेरिका ने रूस को चेतावनी दी थी कि भारत के साथ मिसाइल डील आगे बढ़ने पर काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लग सकते हैं। अमेरिका ने 2017 में CAATSA लाया था। इसके मुताबिक, किसी भी देश पर तब प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जो रूस के साथ डिफेंस और इंटेलिजेंस में डील करे। आपको बता दें, सूत्रों का कहना है कि भारत उम्मीद कर रहा है कि रूस से सितंबर तक एक वॉरशिप तुशील की डिलीवरी हो जाएगी। वहीं, रूस दूसरा वॉरशिप तमाल जनवरी 2025 तक दे देगा। इन दोनों वॉरशिप की डिलीवरी 2022 तक हो जानी थी, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इसमें देरी हो गई। रूस ने 2018 में चार स्टेल्थ फ्रीगेट की डील की थी। इनमें से दो वॉरशिप भारत में बनाए जाएंगे।