मुंबई, 23 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस की। जयराम ने कहा, मोदी सरकार की चंदादाताओं का सम्मान और अन्नदाताओं का अपमान करने की नीति है। पीएम मोदी MSP को कानूनी दर्जा नहीं देना चाहते, लेकिन उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए रिश्वत को कानूनी दर्जा दे दिया। इन्होंने निजी कंपनियों का इस्तेमाल किया। इस घोटाले के 4 रास्ते थे। पहला था, 'चंदा दो धंधा लो' यह प्रीपेड है। दूसरा तरीका है 'ठेका लो घुस दो', जो कि पोस्टपेड है, पहले आपको कॉन्ट्रैक्ट मिलता है और फिर आप रिश्वत देते हैं। तीसरा तरीका है छापेमारी, पहले कंपनियों के पास ईडी सीबीआई भेजी जाती है और उनसे बचने के लिए ये कंपनियां इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदती हैं और चौथा तरीका है शेल कंपनियों का उपयोग करना। जयराम रमेश ने आगे कहा, मोदी वहीं प्रधानमंत्री हैं जो काला धन वापस लाने की गारंटी देते थे। आज इन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड से भ्रष्टाचार को लीगल बना दिया और चंदा दो धंधा लो नीति अपनाई। कांग्रेस नेता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की भी मांग की।
रमेश ने आगे कहा कि कोड का उपयोग करते हुए रिसर्च से पता चला है कि 38 कॉर्पोरेट कंपनियों को केंद्र या भाजपा शासित राज्य सरकारों की तरफ से कई प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली। बाद में उन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इन कंपनियों को भाजपा को चुनावी बांड के 2,004 करोड़ रुपये के चंदे के बदले प्रोजेक्ट में कुल 3.8 लाख करोड़ रुपए मिले हैं। जब INDIA गठबंधन सत्ता में आएगा तो वह चुनावी बांड घोटाले की SIT से जांच कराएगा। इसके अलावा अडानी मामले पर एक जेपीसी बनाई जाएगी और एक SIT पीएम-केयर्स फंड की भी जांच करेगी। जयराम ने मोदी सरकार के साथ-साथ SBI पर भी सवाल उठाते हुए कहा, हमारे युवा साथियों ने सिर्फ 5 लाइन का एक कम्यूटर कोड लिखा है। जिससे सिर्फ 15 सेकण्ड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगी गई इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी हमारे सामने आ गई। इसी जानकारी को देने के लिए SBI ने 30 जून तक का समय मांगा था, इससे साफ है कि मोदी सरकार ये जानकारी बाहर नहीं लाना चाहती थी।