मुंबई, 06 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीन ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते के मोदी को बधाई देने और उस पर PM के जवाब पर आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने गुरुवार को कहा कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है। ताइवान चीन का ही एक हिस्सा है। चीन ताइवान को अलग देश मानकर उससे रिश्ते रखने वाले देशों का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि दुनिया एक चीन के सिद्धांत को मानती है। इसी आधार पर वह दुनियाभर देशों के साथ संबंध बनाता है। भारत भी उन देशों में है जो वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी को ताइवान के राष्ट्रपति की बधाई का विरोध करना चाहिए। ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते ने प्रधानमंत्री मोदी को जीत पर बधाई दी थी। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा था कि भारत-ताइवान आपसी साझेदारी, व्यापार, टेक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है ताकि इंडो पैसिफिक में शांति बन सके। जिसके बाद, मोदी ने अपने जवाब में लिखा था, 'भारत ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए तैयार है।' मोदी के इस कमेंट से चीन भड़क गया। चीन ने भारत को चेतावनी दी है कि वो ताइवान से दूर रहे।
सीनियर जर्नलिस्ट पलकी शर्मा के मुताबिक दिसम्बर 1949 में भारत चीन को मान्यता देने वाले पहले एशियाई देशों में से एक रहा। इसके बाद 45 सालों तक भारत और ताइवान के बीच कोई औपचारिक सम्पर्क नहीं रहा। दोनों देशों के बीच गतिरोध की स्थिति बनी रही। ताईवान का रवैया भी भारत को लेकर बहुत पॉजिटिव नहीं था। ताइवान अपनी वन-चाइना नीति पर अड़ा रहा, जिसमें ताइपे सत्ता का केंद्र था। तिब्बत और मैकमोहन लाइन पर उसकी पोजिशन ठीक वही थी, जो चीन की थी। उसके अमेरिका से गहरे सम्बंध थे, लेकिन भारत जैसे देशों में उसकी अधिक रुचि नहीं थी। लेकिन, 1990 के दशक में भारत की विदेश नीति बदली। उसने लुक-ईस्ट नीति अपनाई, जिसके चलते ताइवान से रिश्ते बढ़ाने की कोशिश की और ताइवान ने भी अच्छी प्रतिक्रिया दी। 1995 में अनधिकृत दूतावासों की स्थापना की गई। 21वीं सदी की शुरुआत तक भारत के चीन से सम्बंध अपने सबसे अच्छे दौर में प्रवेश कर चुके थे।