मुंबई, 13 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इससे पहले भजनलाल सरकार ने इन याचिकाओं में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी है। राजस्थान सरकार का कहना है कि वह वक्फ कानून में हुए ऐतिहासिक सुधारों का बचाव करना चाहती है, क्योंकि प्रदेश में भी सैकड़ों एकड़ भूमि ऐसी है, जिस पर वक्फ अपना दावा करता है। सरकार ने कहा- इस कानून का उद्देश्य सरकारी और निजी भूमि को मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है। संशोधन के बाद किसी भूमि को वक्फ के रूप में सूचीबद्ध करने से पहले 90 दिन का सार्वजनिक नोटिस और आपत्ति दर्ज कराने की व्यवस्था अनिवार्य की गई है। इससे प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे और प्रभावित पक्षों के अधिकार सुरक्षित रहें।
सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया- सरकार ने राज्य के हितों की रक्षा और धार्मिक न्यासीय संपत्तियों के कानूनी और न्यायसंगत संचालन के पक्षकार बनने का प्रार्थना पत्र दायर किया है। क्योंकि सरकार का मानना है कि वक्फ कानून में संशोधन पारदर्शी और संविधान सम्मत सुधार है। संयुक्त संसदीय समिति ने 284 से अधिक हितधारकों (जिसमें 25 राज्य वक्फ बोर्ड, 15 राज्य सरकारें, सामाजिक संगठनों व विधि विशेषज्ञों) के विचारों को शामिल करते हुए सर्वसम्मति से समर्थन प्रदान किया। यह संशोधन राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक परामर्श के बाद पारित किया गया है। सरकार ने यह तर्क भी दिया है कि यह अधिनियम अनुच्छेद 25 व 26 के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करता है। न ही अनुच्छेद 14 व 15 के अंतर्गत समानता के अधिकार का हनन करता है। जैसा कि याचिकाओं में दावा किया गया है। इसलिए राज्य सरकार इस संशोधन का बचाव करने के लिए पक्षकार बनना चाहती है।