जिस तरह से बीजेपी ने एमपी-छत्तीसगढ़ में पारंपरिक और बड़े चेहरों को किनारे कर नए चेहरों को मौका दिया है, उसे देखते हुए लगता है कि पार्टी यहां भी नए चेहरों पर दांव लगाएगी। राजस्थान में बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे हैं. लेकिन इस बार पार्टी ने बिना सीएम कैंडिडेट घोषित किए पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा. ऐसे में यह पहले से ही तय था कि पार्टी इस बार वसुंधरा को सीएम बनाने के मूड में नहीं है. हालांकि, हमेशा सक्रिय रहने वाली वसुंधरा इस बार खामोश रहीं. वह पार्टी की बैठकों से दूर रहे. इतना ही नहीं, वह शीर्ष नेताओं की बैठकों से भी गायब रहने लगीं. आज शाम तक राजस्थान में विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो सकता है. आज दोपहर विधायक दल की बैठक होनी है. इससे पहले बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को दिल्ली बुलाया था. 3 दिसंबर को नतीजे घोषित होने के बाद एमपी में नए चेहरे के तौर पर मोहन यादव के नाम का ऐलान किया गया है. वहीं, छत्तीसगढ़ में आदिवासी चेहरे के तौर पर विष्णुदेव साय को सीएम बनाकर बीजेपी ने नया दांव खेला है.
चुनाव नतीजों के बाद से समीकरण बदल गए हैं
चुनाव से पहले ही बीजेपी आलाकमान ने उन्हें अपनी रणनीति से अवगत करा दिया था. ऐसे में यह पहले से ही तय था कि चुनाव जीतने के बाद वह बीजेपी की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार नहीं होंगे, लेकिन 3 दिसंबर को आए नतीजों के बाद सब कुछ तेजी से बदल गया. नतीजों के बाद अब तक दो बार वसुंधरा ताकत दिखा चुकी हैं. ऐसे में विधायकों की बैठक नाटकीय ढंग से होनी तय है. आपको बता दें कि शुक्रवार को पर्यवेक्षकों की घोषणा के बाद रविवार को होने वाली विधान मंडल की बैठक स्थगित कर दी गई क्योंकि वसुंधरा अभी भी सीएम पद पर कायम हैं.
एक सम्भावना यह भी है
इस बीच यह भी संभावना है कि पार्टी राज्य में ऐसे चेहरे पर भी दांव लगा सकती है जिसने कभी चुनाव ही नहीं लड़ा हो. अश्विनी वैष्णव, अर्जुनराम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, सुनील बंसल, ओम माथुर और ओम बिड़ला ऐसे चेहरों में से हैं. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एमपी और छत्तीसगढ़ में भी ऐसी ही संभावनाएं जताई जा रही थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब देखना यह है कि राजस्थान में ताजपोशी किसकी होगी.