रत के न्यायपालिका में एक अहम पद है — मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India, CJI)। हाल ही में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को देश का 52वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। पदभार ग्रहण करने के बाद उनके प्रोटोकॉल को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। खासकर तब जब वे महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय वकील सम्मेलन में गए थे और वहां स्थानीय शीर्ष अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई थी। यह मामला प्रोटोकॉल के पालन को लेकर सवाल खड़ा करता है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस बीआर गवई की भूमिका
भारत के मुख्य न्यायाधीश न केवल देश की न्यायिक व्यवस्था के सर्वोच्च प्रमुख होते हैं, बल्कि संविधान की रक्षा और न्यायपालिका के सुचारु संचालन में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। मुख्य न्यायाधीश का पद उच्च न्यायालयों से ऊपर होता है और वे सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख भी होते हैं। उनकी जिम्मेदारी सिर्फ मामलों का फैसला करना ही नहीं, बल्कि न्यायपालिका के मान-सम्मान, स्वतंत्रता और प्रभावशीलता को बनाए रखना भी है।
प्रोटोकॉल और सम्मान — क्यों महत्वपूर्ण हैं?
मुख्य न्यायाधीश को संविधान और न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने के लिए विशेष प्रोटोकॉल दिए जाते हैं। यह प्रोटोकॉल न केवल पद की प्रतिष्ठा को दर्शाते हैं, बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सम्मान को भी सुनिश्चित करते हैं। भारत के किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में जब CJI का दौरा होता है, तो स्थानीय प्रशासन की ओर से उनके स्वागत और सम्मान का विशेष प्रबंध किया जाता है।
मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP), और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उनकी अगवानी करते हैं। उनके सुरक्षा इंतजाम ज़ी या ज़ी+ श्रेणी की होती है। एयरपोर्ट पर विशेष लॉन्ज़ सुविधा, यात्रा में प्राथमिकता, और सरकारी आवास जैसी सुविधाएं भी मुख्य न्यायाधीश को दी जाती हैं।
इसलिए जब महाराष्ट्र या गोवा के वकील सम्मेलन में स्थानीय अधिकारियों का अभाव हुआ, तो जस्टिस गवई ने इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना और अपनी नाराजगी जाहिर की।
मुख्य न्यायाधीश को मिलने वाली सुविधाएं
मुख्य न्यायाधीश के पद से जुड़ी कई सुविधाएं होती हैं जो उनकी गरिमा और दायित्व को दर्शाती हैं। इनमें प्रमुख हैं:
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वेतन: वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश को लगभग ₹2.80 लाख मासिक वेतन मिलता है। यह वेतन न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित किया गया है ताकि कोई वित्तीय दबाव उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित न कर सके।
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आवास: दिल्ली में मुख्य न्यायाधीश को सरकारी आवास प्रदान किया जाता है, जिसमें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। यह आवास सुरक्षा और आराम दोनों के लिहाज से उपयुक्त होता है।
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यात्रा सुविधाएं: मुख्य न्यायाधीश को सरकारी खर्च पर देश-विदेश की यात्रा करने की सुविधा प्राप्त होती है। इससे वे न्यायिक मामलों और कानूनी सम्मेलनों में भाग ले सकते हैं।
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स्वास्थ्य सुविधा: मुख्य न्यायाधीश और उनके परिवार को निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं दी जाती हैं, जिससे वे किसी भी समय गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त कर सकें।
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सुरक्षा: Z या Z+ श्रेणी की सुरक्षा के अंतर्गत मुख्य न्यायाधीश को विशेष सुरक्षा बल और निजी गार्ड मिलते हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद की सुविधाएं
मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्हें कई सुविधाएं दी जाती हैं।
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मुख्य न्यायाधीश को करीब ₹16.80 लाख वार्षिक पेंशन प्राप्त होती है।
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इसके अलावा, सुरक्षा, आवास और स्वास्थ्य सुविधाएं सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी रहती हैं।
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उन्हें कई सरकारी कार्यक्रमों और कानूनी सम्मेलनों में सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
जस्टिस बीआर गवई की नाराजगी के पीछे की वजह
हाल के एक राज्य स्तरीय वकील सम्मेलन में, जब जस्टिस गवई कार्यक्रम में शामिल हुए, तो उन्होंने देखा कि वहां स्थानीय प्रशासन के शीर्ष अधिकारी उपस्थित नहीं थे। मुख्य सचिव, डीजीपी जैसे पदाधिकारी नदारद थे, जिससे उनका मानना था कि प्रोटोकॉल का ठीक से पालन नहीं हुआ।
इस पर उन्होंने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताई और कहा कि मुख्य न्यायाधीश के सम्मान में यह ठीक नहीं है। इससे साफ होता है कि न्यायपालिका के सर्वोच्च अधिकारी के प्रति सम्मान की भावना कितनी महत्वपूर्ण है और इसके अभाव में न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच सकती है।
न्यायपालिका की गरिमा और जिम्मेदारी
मुख्य न्यायाधीश के प्रति सम्मान केवल उनका व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि पूरे न्यायपालिका और संविधान के प्रति सम्मान है। जब मुख्य न्यायाधीश को उचित सम्मान और प्रोटोकॉल नहीं मिलता, तो यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
इसलिए, भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मुख्य न्यायाधीश के साथ उचित सम्मान और प्रोटोकॉल का पालन करें। इससे न केवल न्यायपालिका की गरिमा बनी रहेगी, बल्कि जनता का न्यायपालिका में विश्वास भी मजबूत होगा।
निष्कर्ष
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद उनके प्रोटोकॉल और सुविधाओं को लेकर जो चर्चा हो रही है, वह न्यायपालिका की गरिमा को दर्शाती है। CJI के रूप में उनकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है और उन्हें न केवल कानूनी मामलों में बल्कि अपने पद की गरिमा और सम्मान बनाए रखने में भी सशक्त होना पड़ता है।
मुख्य न्यायाधीश को मिलने वाली सुविधाएं और प्रोटोकॉल न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे न्यायपालिका के लिए सम्मान का प्रतीक हैं। इसलिए देश भर के प्रशासन को चाहिए कि वे इस सम्मान को बरकरार रखें ताकि भारत की न्यायपालिका मजबूत और स्वतंत्र बनी रहे।