देशभर की अदालतों में 5 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट में 80 हजार ऐसे मामले हैं जिन पर अभी तक कोई फैसला नहीं आया है यानी देश की सुप्रीम कोर्ट में 80 हजार मामले लंबित हैं. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने देश की अदालतों की न्यायिक व्यवस्था से जुड़े सवालों के जवाब में यह जानकारी दी है.
1 दिसंबर को 5,08,85,856 रुपये बकाया था
केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में जवाब दिया कि 1 दिसंबर तक 5,08,85,856 लंबित मामलों में से 61 लाख से अधिक मामले 25 उच्च न्यायालयों के स्तर पर हैं, जबकि 4.46 करोड़ से अधिक मामले जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित हैं। हाईकोर्ट के कॉलेजियम ने अभी तक जजों के 201 खाली पदों को भरने की सिफारिश नहीं की है.
सत्र में यह जानकारी भी दी गयी
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजे गए 123 प्रस्तावों में से 81 सरकारी स्तर पर प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं. बाकी 42 प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के विचाराधीन हैं. 201 रिक्तियों के संबंध में हाई कोर्ट कॉलेजियम से अनुशंसा अभी तक प्राप्त नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 26,568 है और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है और उच्च न्यायालयों में यह आंकड़ा 1,114 है। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 25,420 है।
देश की अदालतों में लंबित मामलों के कई कारण हैं. इसमें वकीलों की मौत और जजों की कमी के साथ-साथ मामलों का ट्रांसफर जैसे कारण शामिल हैं. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण पीड़ित वकीलों को फीस नहीं दे पाते, जिससे मामले लंबित रह जाते हैं।