मंगलवार को राजधानी नई दिल्ली में भारत के विपक्षी दलों के गठबंधन की बैठक हुई. बैठक में कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई. जिसमें पीएम चेहरा, सीट बंटवारा, गठबंधन संयोजक और ईवीएम प्रस्ताव शामिल है. इनमें सबसे अहम था ईवीएम प्रस्ताव. बैठक के बाद गठबंधन नेताओं ने कहा कि ईवीएम पर चर्चा हुई. जिसमें आखिरकार बैलेट पेपर से चुनाव कराने का प्रस्ताव पारित हो गया है.
1. इंडिया अलायंस द्वारा पारित प्रस्ताव के मुताबिक, ईवीएम की डिजाइन और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं. प्रस्ताव के मुताबिक, वीवीपैट से पर्चियां बॉक्स में गिरने के बजाय मतदाता को दी जानी चाहिए। इसके बाद इसका मिलान कर लेना चाहिए. हालाँकि गठबंधन के नेताओं ने सभी सवालों के साथ ईसीआई से संपर्क किया, लेकिन तीनों चुनाव आयुक्तों में से किसी ने भी उनसे मिलने का समय नहीं दिया।
2. प्रस्ताव के मुताबिक, कई प्रोफेशनल्स पहले ही ईवीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं. इसी वजह से हम बैलेट पेपर से चुनाव की मांग कर रहे हैं. यदि ईवीएम की जगह मतपत्रों से चुनाव कराया जाए तो यह उचित होगा।
3. गठबंधन नेताओं ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर सुझाव और अपनी आपत्तियां भी दीं. गठबंधन नेताओं की मानें तो अगर आयोग को बैलेट पेपर से चुनाव कराने में कोई दिक्कत है तो हाइब्रिड बैलेट पेपर सिस्टम से चुनाव कराया जाना चाहिए.
4. इस व्यवस्था के मुताबिक बॉक्स में वीवीपैट की पर्ची मतदाता को दी जानी चाहिए. जो उसकी पसंद को सत्यापित करने के बाद उसे एक अलग बॉक्स में रखेगा। इसके बाद वीपीपैट पर्चियों से मिले वोटों की गिनती की जाए ताकि निष्पक्ष चुनाव हो सके.
अब तक की गई कार्रवाई
आपको बता दें कि विपक्ष पहले भी कई बार चुनाव आयोग को ईवीएम की खामियों के बारे में बता चुका है, लेकिन आयोग भी कई बार साफ कर चुका है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति ईवीएम मशीनों को नियंत्रित नहीं कर सकता है. साथ ही इसे हैक भी नहीं किया जा सकता. ऐसे में बैलेट पेपर से चुनाव की मांग चुनाव आयोग को स्वीकार्य नहीं है. इसके बाद आयोग ने वीवीपैट मशीन की शुरुआत की ताकि वोट डालने वाले व्यक्ति को पता चल सके कि उसका वोट किसे गया है।
इससे कुछ दिनों के लिए ईवीएम को लेकर विपक्ष का संदेह खत्म हो गया, लेकिन तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम का मुद्दा उठाया. हालांकि, उन्होंने तेलंगाना में ईवीएम से जीत पर कभी कुछ नहीं कहा. इससे पहले जब कांग्रेस ने हिमाचल और कर्नाटक में चुनाव जीता था तब भी ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठाया गया था.