40 विदेश यात्राएं और...; अख्तर कुतुबद्दीन 30 साल तक बना रहा BARC का फर्जी वैज्ञानिक, अब चढ़ा मुंबई पुलिस के हत्थे

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Posted On:Monday, November 3, 2025

मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुए एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो पिछले तीन दशक से खुद को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) का वैज्ञानिक बताकर घूम रहा था। आरोपी की पहचान 60 वर्षीय अख्तर हुसैन कुतुबुद्दीन अहमद के रूप में हुई है, जिसकी पहचान पूरी तरह फर्जी निकली। इस फर्जी पहचान के दम पर अख्तर ने भारत और मध्य पूर्व के कई संवेदनशील देशों समेत 40 से अधिक बार विदेश यात्राएं की हैं, जिसने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। अख्तर हुसैन को मुंबई के यारी रोड इलाके से गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया है कि वह 30 साल से BARC का फर्जी वैज्ञानिक बना हुआ था। इस दौरान उसने 20 बार ईरान, 15 बार सऊदी अरब के अलावा मॉस्को, रूस और थाईलैंड की भी यात्राएं की हैं।

विदेशी फंडिंग और कई बैंक खातों का रहस्य

मुंबई पुलिस द्वारा अख्तर से जुड़ी जानकारी खंगालने पर एक के बाद एक चौंकाने वाले वित्तीय खुलासे हुए। अख्तर और उसके भाई आदिल हुसैन के नाम पर कई बैंक खाते मिले, जिनमें विदेशी फंडिंग के संकेत मिले हैं। मुंबई क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार, "जांच के अनुसार, अख्तर को 1996 से ही विदेश से पैसे मिल रहे हैं। इनमें ज्यादातर पैसे अमेरिका, ईरान और इराक जैसे देशों से आते हैं। पैसा भेजने वाले स्रोतों का पता नहीं चल पाया है।" एक निजी बैंक के खाते में तो 2001 में विदेश से भारी मात्रा में पैसा आने का रिकॉर्ड भी मिला है।

विदेशी स्रोतों से लगातार और भारी मात्रा में धन प्राप्त होने का यह मामला, अख्तर के फर्जी वैज्ञानिक होने के दावे के साथ मिलकर, राष्ट्रीय सुरक्षा और जासूसी के संदेह को जन्म देता है। अधिकारी अब यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या यह पैसा जासूसी या भारत के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी संवेदनशील जानकारी बेचने के एवज में दिया गया था।

भाई आदिल की भी गिरफ्तारी, संवेदनशील जानकारी का दावा

अख्तर के भाई आदिल हुसैन को भी दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया है। जांच एजेंसियों को दोनों भाइयों के खातों में विदेश से काफी पैसा आने के प्रमाण मिले हैं। पुलिस की पूछताछ के दौरान अख्तर ने एक और बड़ा दावा किया, जिसने जांच की दिशा बदल दी। अख्तर ने कहा कि उसके पास BARC का नक्शा समेत कई संवेदनशील और गोपनीय जानकारियां मौजूद हैं, जिसकी मदद से वह विदेशों से पैसा कमाता था। यह दावा अगर सच साबित होता है, तो यह देश की परमाणु सुरक्षा में एक गंभीर सेंधमारी होगी।

पुलिस ने दोनों भाइयों के फोन, लैपटॉप और सभी फर्जी दस्तावेजों को जब्त कर लिया है, ताकि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के माध्यम से उनके दावों और विदेशी संपर्कों की सत्यता की पुष्टि की जा सके। यह भी पता चला है कि अख्तर के भाई आदिल के खिलाफ उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी एक मामला दर्ज है।

सुरक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल

अख्तर हुसैन का 30 साल तक एक उच्च-सुरक्षा और संवेदनशील संस्थान, BARC, का फर्जी वैज्ञानिक बनकर रहना और 40 बार विदेश यात्राएं करना भारत के इमिग्रेशन और सुरक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह कैसे संभव हुआ कि इतने लंबे समय तक एक व्यक्ति फर्जी पहचान पर बिना किसी रोक-टोक के परमाणु अनुसंधान जैसे संवेदनशील क्षेत्र से खुद को जोड़कर दुनिया भर में घूमता रहा? मुंबई पुलिस अब इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि अख्तर का नेटवर्क कितना व्यापक है, उसके विदेशी फंडर्स कौन हैं, और क्या उसने वास्तव में कोई संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा जानकारी विदेशी ताकतों को सौंपी है।


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