गौतम अडानी के भतीजे को सेबी से राहत, लगे थे इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप

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Posted On:Saturday, December 13, 2025

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अदाणी ग्रुप की कई कंपनियों के निदेशक और उद्योगपति गौतम अडानी के भतीजे प्रणव अडानी को बड़ी राहत दी है। सेबी ने शुक्रवार को प्रणव अडानी को कीमत से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं साझा करने और इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading) के नियमों के उल्लंघन के आरोपों से बरी कर दिया। उनके साथ उनके दो अन्य रिश्तेदारों, कुणाल धनपाल भाई शाह और निरुपल धनपाल भाई शाह, को भी इन आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।

क्या था इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला?

यह पूरा मामला अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) द्वारा एसबी एनर्जी (SB Energy) के अधिग्रहण से संबंधित था। सेबी की जांच इस बात पर केंद्रित थी कि क्या प्रणव अडानी ने इस बड़े अधिग्रहण से जुड़े गोपनीय और मूल्य-संवेदनशील विवरण (Price-Sensitive Details) किसी को सार्वजनिक होने से पहले साझा किए थे।

अदाणी ग्रीन एनर्जी ने 19 मई 2021 को एसबी एनर्जी के अधिग्रहण की घोषणा की थी, जो उस समय भारत में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में सबसे बड़ा सौदा था।

जांच और नोटिस जारी होना

सेबी ने मामले की तह तक जाने के लिए 28 जनवरी 2021 से 20 अगस्त 2021 के बीच अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में हुए कारोबार की गहन पड़ताल की।

नवंबर 2023 में, जांच रिपोर्ट की समीक्षा के बाद, सेबी को लगा कि इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों (PIT Regulations) का उल्लंघन हो सकता है। इसी आधार पर, सेबी ने तीन व्यक्तियों—प्रणव अडानी, कुणाल धनपाल भाई शाह और निरुपल धनपाल भाई शाह—को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

  • प्रणव अडानी पर आरोप था कि उन्होंने अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी (UPSI) साझा की, जो अधिग्रहण से जुड़ी थी।

  • शाह बंधुओं (कुणाल और निरुपल) पर आरोप था कि उन्होंने इस अंदरूनी सूचना का उपयोग कर अवैध रूप से लाभ कमाया।

सेबी का 50-पेज का आदेश और निष्कर्ष

हालांकि, विस्तृत और गहन जांच के बाद, सेबी को ऐसा कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि प्रणव अडानी ने किसी भी तरह की गोपनीय जानकारी शेयर की हो।

सेबी ने यह भी पाया कि शाह बंधुओं द्वारा अंदरूनी जानकारी के आधार पर कारोबार किए जाने के आरोप भी निराधार थे।

रेगुलेटर ने अपने 50-पेज के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा:

"16 मई 2021 की कॉल का उद्देश्य प्रणव द्वारा कोई गोपनीय जानकारी साझा करना नहीं था। कुणाल और निरुपल के ट्रांजेक्शन वास्तविक थे और कंपनी या उसकी सिक्योरिटीज से संबंधित किसी भी गोपनीय जानकारी से प्रभावित नहीं थे।"

सेबी ने निष्कर्ष निकाला कि ये आरोप सही नहीं ठहराए जा सकते। चूंकि लेन-देन वास्तविक थे और इनसाइडर ट्रेडिंग साबित नहीं हुई, इसलिए कोई जुर्माना या निर्देश आवश्यक नहीं है। इस आदेश के साथ, अदाणी ग्रुप के कार्यकारी और उनके रिश्तेदारों को एक बड़ी कानूनी और नियामक परेशानी से मुक्ति मिल गई है।


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