सक्सेस स्टोरी: Frooti, Appy Fizz को करोड़ों का ब्रांड बनाने वाला चेहरा कौन?

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Posted On:Monday, April 28, 2025

गर्मी के मौसम में कुछ खास तरह के ड्रिंक्स की मांग बढ़ जाती है, लेकिन फ्रूटी (Frooti) की लोकप्रियता पूरे साल बनी रहती है। भारतीय बेवरेज मार्केट में फ्रूटी एक ऐसा नाम है, जिसने दशकों से अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है। इस ब्रांड की सफलता के पीछे पारले एग्रो (Parle Agro) और खासतौर पर कंपनी की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर व चीफ मार्केटिंग ऑफिसर नादिया चौहान का बहुत बड़ा योगदान है। नादिया ने फ्रूटी को एक बचपन के ड्रिंक से एक ट्रेंडी, यूथ-फोकस्ड ब्रांड में बदलने का काम किया है।

छोटी उम्र से संभाली जिम्मेदारी

नादिया चौहान ने बेहद छोटी उम्र में बिजनेस वर्ल्ड में कदम रखा। 2003 में जब वह महज 17 साल की थीं, तब उन्होंने पारले एग्रो में काम शुरू कर दिया था। उस समय पारले एग्रो की वैल्यू केवल 300 करोड़ रुपये थी। नादिया के विजन और रणनीतियों के चलते आज कंपनी 8,000 करोड़ रुपये की हो गई है। नादिया का सपना अब इसे 2030 तक 20,000 करोड़ रुपये की कंपनी बनाने का है।

पारले एग्रो के चेयरमैन प्रकाश जयंतीलाल चौहान की बेटी नादिया ने अपनी बहन शाउना चौहान के साथ मिलकर कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। पारिवारिक बिजनेस को एक नई दिशा देने में नादिया का बड़ा योगदान रहा है।

ब्रांडिंग में किया बड़ा बदलाव

फ्रूटी को एक बचपन के ड्रिंक से एक युवा वर्ग को आकर्षित करने वाला ब्रांड बनाने में नादिया की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इसे वाइब्रेंट और ट्रेंडी इमेज दी, जिससे युवाओं और बच्चों दोनों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ी।

2005 में नादिया ने फ्रूटी की पारंपरिक टेट्रा पैकिंग को बदला और उसे एक पेपरबोट स्टाइल में पेश किया, जिससे इसकी बिक्री में जबरदस्त इजाफा हुआ। इसके बाद 2010 में उन्होंने 'ऐप्पी फिज' (Appy Fizz) को लॉन्च किया, जो कार्बोनेटेड फ्रूट-ड्रिंक सेगमेंट में भारत का एक बड़ा ब्रांड बन गया।

नादिया के नेतृत्व में पारले एग्रो ने न केवल अपने मौजूदा ब्रांड्स को मजबूत किया, बल्कि नए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स भी पेश किए। उनकी ब्रांडिंग स्किल्स और कस्टमर को ध्यान में रखकर बनाई गई रणनीतियों ने पारले एग्रो को बेवरेज इंडस्ट्री में अग्रणी बना दिया।

पारले ग्रुप का इतिहास

पारले ग्रुप की शुरुआत 1929 में मोहनलाल चौहान ने की थी। पहले यह ग्रुप कन्फेक्शनरी बिजनेस में था। बाद में 1959 में इसने बेवरेज सेक्टर में कदम रखा और लिम्का, माजा, गोल्ड स्पॉट और थम्स अप जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड बनाए। हालांकि बाद में इन ब्रांड्स को कोका-कोला को बेच दिया गया। इसके बाद पारले एग्रो ने फ्रूटी, ऐप्पी, ऐप्पी फिज और बेली जैसे ब्रांड्स के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई।

नादिया की पढ़ाई और प्रारंभिक जीवन

नादिया का जन्म कैलिफोर्निया, अमेरिका में हुआ था, लेकिन वह मुंबई में पली-बढ़ीं। उन्होंने एच.आर. कॉलेज से कॉमर्स की पढ़ाई की और साथ ही मार्केटिंग और ब्रांडिंग का गहरा ज्ञान भी अर्जित किया। परिवार के बिजनेस में शामिल होने से पहले ही नादिया ने बिजनेस की बारीकियों को समझना शुरू कर दिया था, जो उनके नेतृत्व के कौशल में साफ दिखाई देता है।

कई पुरस्कारों से नवाजी गईं

अपने बेहतरीन नेतृत्व और लगातार इनोवेशन के चलते नादिया को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 2019 में उन्हें फॉर्च्यून इंडिया की '40 अंडर 40' लिस्ट में शामिल किया गया, जो भारत के टॉप यंग लीडर्स को सम्मानित करती है।

नादिया चौहान ने साबित कर दिया कि अगर विजन साफ हो और मार्केट की नब्ज को पहचाना जाए, तो कोई भी ब्रांड नई ऊंचाइयों को छू सकता है। उनके नेतृत्व में पारले एग्रो न केवल भारत में बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में भी तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।

निष्कर्ष

नादिया चौहान की कहानी से यह साफ होता है कि उम्र सफलता की सीमा नहीं होती। जुनून, नवाचार और सही रणनीति के दम पर उन्होंने पारले एग्रो को एक घरेलू ब्रांड से एक ग्लोबल प्लेयर में बदल दिया है। आने वाले समय में भी पारले एग्रो की ग्रोथ की कहानी नादिया के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने वाली है।


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